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डिजिटल युग में साइबर ठगी का खतरनाक रूप

साइबर क्राइम आज के समय का सबसे बड़ा खतरा बन चुका है, और इसका एक नया और खतरनाक रूप सामने आया है जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जाता है। इस प्रकार की ठगी में जालसाज खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ितों को धोखा देते हैं और उन्हें डराकर उनके बैंक खातों से बड़ी रकम हड़प लेते हैं। मेरे मोबाइल के वाट्सएप पर भी ऐसे कॉल कई बार आ चुके हैं, पर मैंने उन्हें अटेन्ड नहीं किया। प्रोफ़ाइल में सीबीआई पोलिस लिखा हुआ था और भारतीय पुलिस अधिकारी की फ़ोटो लगा रखी थी।

ठगी का एक उदाहरण

दो ऐसे ही कॉल सामने आए हैं। एक कॉल नवा रायपुर में मंत्रालय कर्मी को और एक डौंडी निवासी महिला को। मंगलवार दोपहर करीब दो बजे पंचायत ग्रामीण विकास विभाग की कर्मी को वाट्सअप कॉल आया। कॉलर ने पहले नाम पूछा और फिर कहा कि वह सदर बाजार थाना (जो रायपुर में है ही। नही) से बोल रहा है। आपके बेटे को रेप केस में गिरफ्तार किया गया है, केस दर्ज करने से पहले बता रहे हैं जेल जाने से बचाना है तो बताए नंबर पर अभी 40 हजार सेंड कर दो।

उसने फोन डिस्कनेक्ट न करते हुए डीएसपी कहकर अपने दो साथियों से भी बात कराई। कहा कि एसपी साब नहीं मान रहे तत्काल रकम ट्रांसफर करें। पीछे से एक दो लड़कों के रोने और बचा लेने की भी आवाज़े सुनाई दे रहीं थी। यह सुन महिला कर्मी दहाड़ मारकर दफ्तर में ही रोने लगी। और उसने पैसे ट्रांसफर भी किए। लेकिन ट्रांजेक्शन फेल रहा।

कर्मी ने कॉलर से कहा कि उसका बेटा तो घर पर है, वो ऐसा नहीं कर सकता। इस पर अज्ञात कॉलर ने कहा कि मां होकर ऐसे ही संस्कार देती हो, हो सकता है नहीं किया हो, लेकिन लड़कों के साथ तो मिला है। जल्दी पैसे भेजो एफआईआर दर्ज हो जाएगी तो दिक्कत होगी। एसपी साहब नहीं मान रहे।

उसने मांगे गए 40 हजार का हिसाब भी बताया कि एसपी साहब को 20 हजार जाएगा। 10 डीएसपी और 10 मेरे को। महिला कर्मी ने सहकर्मी से फोन लेकर अपने घर पता किया तो बेटा घर पर ही था। उसने अपनी सहकर्मी को फोन देकर उस ढंग से बात कराई। इस सहकर्मी ने जमकर हड़काया और मंत्रालय से बात करना बताते ही उसने फोन डिस्कनेक्ट किया।

साइबर ठगी के अन्य मामले

डौंडी निवासी एक अन्य महिला को भी इस अज्ञात कॉलर ने फोन कर स्वयं को सीबीआई अधिकारी बताया और उसके पति को रेप केस में पकड़ाने की जानकारी दे रकम देने कहा। वह महिला झांसे में नहीं आई, क्योंकि घर पर ही था। महिला ने पूरा माजरा ठगी का समझ लिया था। इसलिए सावधान रहने की आवश्यकता है, आपके धन पर ठगों की नजर है। जरा सा डरे या भावुक हुए तो बड़ी चपत लग सकती है।

जयपुर में एक बैंक मैनेजर महिला के साथ भी इसी प्रकार की घटना होती है। उसे कॉल करने वाला खुद को दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का अधिकारी बताता है और कहता है कि उनके आधार कार्ड पर ली गई सिम का उपयोग अवैध गतिविधियों के लिए हो रहा है। महिला को डराकर उससे कहा जाता है कि वह दूसरी सिम जारी कराए, और रिजर्व बैंक के वेरिफिकेशन के नाम पर उसके खाते से 20 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट का तात्पर्य है कि किसी व्यक्ति को उसके ही घर में, उसकी ही डिजिटल डिवाइसों के माध्यम से कैद कर लेना। जालसाज, पीड़ित को फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से फंसा लेते हैं और उसे ऐसा विश्वास दिलाते हैं कि वह किसी गंभीर कानूनी समस्या में फंस चुका है।

सर्च इंजन पर ठगी

यदि आप इंटरनेट पर किसी दुकान, अस्पताल या अन्य सेवाओं के लिए सर्च करते हैं तो बहुत सारे नम्बर दिखाई देते हैं। जिसमें इन ठगों के नम्बर भी होते हैं। यदि आपने उन नम्बरों पर कॉल किया तो ठगी का शिकार हो सकते हैं, ऐसे बहुत सारे उदाहरण सामने आए हैं।

दिल्ली से लेकर आंध्र प्रदेश और गुजरात से लेकर असम तक देश के 9 राज्यों में तीन दर्जन से ज्यादा गांव और शहर ऐसे हैं जो साइबर क्राइम का गढ़ बन गए हैं। अब तक झारखंड के जामताड़ा को ही साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता था. लेकिन अब सरकार ने जो बताया है कि देश में एक दो नहीं, बल्कि जामताड़ा जैसे तीन दर्जन से ज्यादा जामताड़ा हैं। सरकार के मुताबिक, देश के 9 राज्यों- हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में साइबर क्राइम के हॉटस्पॉट हैं।

हरियाणा के पंचकूला के एसपी साइबर अमित दहिया बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट में जालसाज खुद को पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, रिजर्व बैंक, ईडी जैसी सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताते हैं। वे ऐसी कहानी गढ़ते हैं कि फोन सुनने वाला डर के मारे उनकी बातों पर विश्वास कर लेता है। कॉल रिसीव करने वाला कई घंटों तक घर में ही कैद हो जाता है और डर के मारे जालसाजों की सभी मांगें पूरी करता है।

कैसे करें बचाव?

डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने चेतावनी जारी की है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने इस संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध का मुकाबला करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट का सहयोग लिया है। सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। आई4सी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूकता फैलाई है। यदि कोई संदिग्ध कॉल आती है तो साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर जानकारी देनी चाहिए। +91 के बजाय दूसरे अंकों से शुरू होने वाले नंबरों से कॉल आने पर सतर्क हो जाना चाहिए। अधिकतर कॉल +92 से वाट्सएप पर आते हैं।

विदेश में संचालित होते हैं फर्जी दफ्तर

पाकिस्तान, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम जैसे देशों में ये फर्जी दफ्तर संचालित होते हैं। वहां से भारतीयों को अधिकारी बनाकर बात कराई जाती है। ये लोग भारत में बैठे कबूतरबाजों के माध्यम से वहां पहुंचते हैं और फिर साइबर स्लेव्स के रूप में काम करते हैं। इन लोगों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है कि ये सरकारी एजेंसियों के अफसर ही लगते हैं। यहां तक कि कई मामलों में यह तक कहा गया कि जज साहब से बात करके आपकी बेल करानी है। आपको जज के सामने वर्चुअली पेश किया जाएगा। इसी बीच या तो ले-देकर केस रफा-दफा करने की बात की जाती है या फिर एक थर्ड पार्टी एप्लीकेशन लिंक भेजकर उस पर क्लिक करने को कहा जाता है। यह थर्ड पार्टी एप्लीकेशन लिंक किसी तीसरे ही व्यक्ति के अकाउंट से संबंधित होता है, जिसके खाते में पैसे ट्रांसफर किए जाते खारी या गुमराह किए गए लोगों के होते हैं और उनके ओटीपी वाले फोन नंबर बदल दिए गए होते हैं। कुछ ही समय के लिए पैसे इनके खाते में आते हैं और वहां से निकाल लिए जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट का खतरा तेजी से बढ़ रहा है और यह साइबर क्राइम की एक नई चुनौती बनकर उभरा है। इससे बचने के लिए सतर्कता और सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है। कभी भी अज्ञात कॉल्स पर विश्वास न करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें। साइबर सुरक्षा एजेंसियां लगातार इस खतरे से निपटने के प्रयास कर रही हैं, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।

संदर्भ ; आजतक, नवभारत, सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़

ललित शर्मा

One thought on “डिजिटल युग में साइबर ठगी का खतरनाक रूप

  • July 5, 2024 at 08:38
    Permalink

    रायपुर तथा डौंडी के उदाहरण से समझ में आता है कि साइबर ठगी हमारे छत्तीसगढ़ जैसे शांत आंचल में भी प्रविष्ट हो चुका है .
    हर एक को सतर्क रहने की आवश्यकता है….

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