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पहाड़ी कोरवाओं के लिए चिरायु योजना बन रही वरदान : देश भर के अच्छे निजी अस्पतालों में कराया जाता है निःशुल्क इलाज

रायपुर, 21 जुलाई 2025/ चिरायु योजना छत्तीसगढ़ के बच्चों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, विशेष रूप से उन परिवारों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और किसी बड़े शहर के निजी अस्पतालों में इलाज कराने में असमर्थ हैं। आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय के लिए यह योजना एक सहारा बन चुकी है।

जिले के मनोरा विकासखंड के जंगलों के बीच बसे छोटे से ग्राम सोनक्यारी की अंजली बाई, जो पहाड़ी कोरवा परिवार से हैं, को दिल में छेद की समस्या थी। पिता नान्हू राम मजदूरी कर जैसे-तैसे परिवार चलाते हैं। जब उन्हें बेटी की गंभीर बीमारी का पता चला तो वे चिंतित हो उठे। मनोरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक जांच के बाद चिरायु टीम ने अंजली की जांच की और उसे रायपुर के एक बड़े निजी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया। ऑपरेशन सफल रहा और अंजली अब स्वस्थ है।

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इसी प्रकार, जिला मुख्यालय के पुरानीटोली निवासी सुदर्शन चौहान के पुत्र रितेश को भी दिल में छेद की बीमारी थी। मजदूरी करने वाले पिता के लिए निजी अस्पताल में इलाज कराना असंभव था। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने चिरायु योजना की जानकारी दी और रायपुर में बच्चे का सफल ऑपरेशन कराया गया।

कुनकुरी विकासखंड के ग्राम बेहराटोली निवासी कृतिबाई और धनेश्वर यादव की बेटी अंशिका को भी गंभीर हृदय रोग था। प्रारंभिक इलाज रायपुर में मेडिकल कॉलेज, सत्य साईं चिकित्सा संस्थान और एम्स में हुआ, लेकिन जटिलता को देखते हुए उसे चेन्नई के अपोलो अस्पताल ले जाया गया। वहां 14.50 लाख रुपये की लागत से सफल ऑपरेशन किया गया, जिसकी पूरी राशि चिरायु योजना के अंतर्गत शासन ने वहन की।

इसी योजना के अंतर्गत अपोलो चिल्ड्रन हॉस्पिटल चेन्नई में जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित दो वर्षीय अन्वी बाई, नौ वर्षीय अनंत नायक और नौ वर्षीय कुमार नायक का भी इलाज हुआ।

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जिला मुख्यालय के चीरबगीचा निवासी नोवेल भगत और बीटीआई पारा निवासी गर्वित सिंह का जन्मजात होंठ और तालू की विकृति का इलाज रायपुर के निजी अस्पताल में निःशुल्क कराया गया।

चिरायु योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच की जाती है। जांच के बाद यदि कोई भी 44 चिन्हित बीमारियों या विकृतियों का लक्षण मिलता है, तो बच्चों को बेहतर इलाज के लिए राज्य या देश के किसी भी बड़े अस्पताल में भेजा जाता है, जहां उनका इलाज पूरी तरह से नि:शुल्क किया जाता है।

यह योजना न केवल बच्चों को जीवनदान दे रही है, बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में उभर रही है।