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शीतकाल में घूमने लायक छत्तीसगढ़ के प्रमुख पुरातात्विक पर्यटन स्थल

छत्तीसगढ़ को ‘भारत का धरोहर राज्य’ कहा जाता है, अपने प्राचीन इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र शीत ऋतु में पर्यटन के लिए बेहद अनुकूल है, क्योंकि इस समय मौसम ठंडा और सुहावना होता है। राज्य में कई पुरातात्विक स्थल हैं, जो इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ बारहों महीना पर्यटन किया जा सकता है, पर हम आज पुरातात्विक स्थलों के पर्यटन की चर्चा कर रहे हैं।

सिरपुर – सिरपुर एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल है, जो महासमुंद जिले में स्थित है। यह स्थान पांचो भारतीय सम्प्रदायों का प्रमुख केन्द्र रहा है, इसके साथ ही बौद्ध सम्प्रदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और यहाँ खुदाई में बौद्ध विहार, मंदिर और स्तूप मिले हैं। सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर भारत का प्राचीन ईंट निर्मित मंदिर है और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। सिरपुर में बहुत सारे शिवलिंग, बौद्ध मूर्तियाँ और जैन धर्म के अवशेष भी मिले हैं, जो इसे सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। यह स्थान रायपुर से रायपुर से 78 किमी की दूरी पर स्थित है।

सिरपुर लक्ष्मण मंदिर

बारसुर –  दंतेवाड़ा जिले में स्थित बारसूर प्राचीन मंदिरों और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इसे बाणासुर की नगरी कहा जाता है। यहाँ चंद्रादित्य मंदिर और गणेश मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं। पत्थर की विशाल गणेश प्रतिमा और अद्भुत वास्तुशिल्प इस क्षेत्र की प्राचीन धरोहर को दर्शाते हैं। बारसूर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे विशेष बनाता है।  यह स्थल जगदलपुर से 100 किमी की दूरी पर स्थित है।

बारसूर गणेश प्रतिमाएं

रामगढ़ – रामगढ़, जो अंबिकापुर के पास स्थित है, भारत के सबसे प्राचीन एम्पी थिएटर स्थल के रूप में जाना जाता है। यहाँ की सीता बेंगरा और जोगीमारा गुफाएँ अपनी प्राचीन चित्रकला और शिलालेखों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में ब्राह्मी लिपि के शिलालेख पाए गए हैं, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में रामगढ़ को एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं। माना जाता है कि यह स्थल प्राचीन काल में नाट्य और संगीत का केंद्र था। यह स्थल अम्बिकापुर से 40 किमी की दूरी पर स्थित है।

जोगीमाड़ा सीताबेंगरा गुफ़ा

रतनपुर- बिलासपुर जिले का रतनपुर, कलचुरी राजाओं की राजधानी रहा है। यहाँ का महामाया मंदिर और किले के अवशेष इस स्थान के गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं। रतनपुर का किला और उसके आसपास स्थित प्राचीन मंदिर इतिहास और स्थापत्य कला के अद्भुत नमूने प्रस्तुत करते हैं। यह स्थल बिलासपुर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है।

रतनपुर के किले का मुख्य द्वार

मल्हार – मल्हार, जो बिलासपुर के पास स्थित है, एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल है। यहाँ भगवान विष्णु, शिव और जैन धर्म के अवशेष पाए गए हैं। पातालेश्वर मंदिर और अन्य प्राचीन मूर्तियाँ यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं। खुदाई में प्राप्त शिलालेख और पुरावशेष छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास और धार्मिक महत्व को उजागर करते हैं। यह स्थल बिलासपुर से 40 किमी की दूरी पर है।

पुरातात्विक स्थल देउर टिकरा मल्हार

राजिम-  महासमुंद जिले का राजिम, जिसे ‘छत्तीसगढ़ का प्रयाग’ कहा जाता है, अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का राजीव लोचन मंदिर स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण है। महानदी, पैरी और सोढुर नदियों का संगम इस स्थान को पवित्र बनाता है। शीत ऋतु में यहाँ राजिम कुंभ मेले का आयोजन होता है, जो इसे धार्मिक पर्यटन के लिए एक विशेष स्थान प्रदान करता है। यह स्थल रायपुर 45 किमी की दूरी पर स्थित है।

महानदी स्नान राजिम कुंभ

चित्रकोट और कुटुमसर – बस्तर क्षेत्र के चित्रकोट और कुटुमसर गुफाएँ भी पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। चित्रकोट जलप्रपात के पास प्राचीन मूर्तियाँ और स्थापत्य कला के अवशेष पाए गए हैं। कुटुमसर गुफा अपनी स्टैलेग्माइट और स्टैलेक्टाइट संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। ये स्थल प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से अद्वितीय हैं। यह स्थल जगदपुर से 40-50 किमी की दूरी पर स्थित है।

चित्रकोट जलप्रपात बस्तर

ताला गाँव –  बिलासपुर जिले का ताला गाँव, शिवनाथ नदी के किनारे स्थित, अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहाँ देवरानी-जेठानी मंदिर स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इस क्षेत्र में खुदाई के दौरान मिली मूर्तियाँ और शिलालेख इतिहास के अनमोल खजाने के रूप में देखे जाते हैं। यहाँ की सबसे अधिक प्रसिद्ध प्रतिमा रुद्र शिव की है, जिसके अंग सरीसृपों एवं कछुए आदि प्राणियों से निर्मित किये गये हैं। यह स्थल बिलासपुर से 30 एवं रायपुर से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है।

रुद्र शिव ताला गांव बिलासपुर

इन सभी स्थलों का ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व छत्तीसगढ़ को पुरातात्विक पर्यटन के लिए एक विशेष स्थान प्रदान करता है। यहाँ का समृद्ध इतिहास, प्राचीन स्थापत्य कला और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों के लिए अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है। शीत ऋतु में इन स्थलों की यात्रा करना न केवल इतिहास के करीब लाता है, बल्कि छत्तीसगढ़ की अनूठी विरासत का अनुभव करने का अवसर भी देता है।

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