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तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या दोगुनी, 17 से बढ़कर हुई 35

रायपुर, 09 सितंबर 2025/ छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या पिछले तीन वर्षों में दोगुनी हो गई है। वर्ष 2022 में जहां बाघों की संख्या 17 थी, वहीं अप्रैल 2025 के सर्वेक्षण में यह बढ़कर 35 हो गई। यह जानकारी नवा रायपुर स्थित महानदी भवन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड की 15वीं बैठक में दी गई।

मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह राज्य में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में किए गए कार्यों का सकारात्मक परिणाम है। उन्होंने कहा कि अब अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में भी ठोस प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने जशपुर जिले के नीमगांव में बड़ी संख्या में आने वाले प्रवासी पक्षियों के संरक्षण पर विशेष बल देते हुए कहा कि ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर विकास किए जाने से पर्यटन और रोजगार दोनों को बढ़ावा मिलेगा।

वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि राज्य में बाघों के साथ-साथ अन्य वन्य प्राणियों की संख्या और उनके रहवासों में सुधार के प्रयास जारी हैं। आने वाले समय में इसके और भी बेहतर परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि बैठक में पारित प्रस्ताव जनहित में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे और वन्यजीवों एवं जैव विविधता को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।

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बैठक में सदस्य सचिव अरुण कुमार पांडेय एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने विभागीय उपलब्धियों और एजेण्डा पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि राज्य में सर्वाधिक बाघ अचानकमार टाइगर रिज़र्व में हैं। राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली से उदंती-सीतानदी और गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में मध्यप्रदेश से बाघों के ट्रांसलोकेशन की अनुमति मिल चुकी है और शीघ्र ही यह कार्य पूरा किया जाएगा।

उन्होंने यह भी बताया कि राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या बढ़ाने के लिए असम से लाए गए वनभैंसों के माध्यम से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी प्रकार राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के संरक्षण हेतु “मैना मित्र” समूह का गठन किया गया है, जो उनके रहवास की निगरानी करता है। टाइगर रिज़र्व और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के लिए नई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, जिससे ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा और वन्यजीव संरक्षण को भी सहयोग प्राप्त होगा।

बैठक में वन्यजीव संरक्षण और संवर्धन के लिए गश्ती मार्ग निर्माण तथा संरक्षित क्षेत्र के युक्तियुक्तकरण के प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। साथ ही उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व (गरियाबंद) अंतर्गत धवलपुर से कुकरार तक सड़क निर्माण, मिशन अमृत योजना के तहत पाइपलाइन विस्तार तथा कवर्धा वनमंडल में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने की अनुमति प्रदान की गई। इससे वन क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीणों को मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

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बैठक में विधायक धर्मजीत सिंह, विधायक चैतराम अटामी, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, अपर मुख्य सचिव (वन एवं जलवायु परिवर्तन) ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, सचिव वन अमरनाथ प्रसाद सहित बोर्ड के अन्य सदस्य, वन्यजीव विशेषज्ञ और गैर-शासकीय संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।