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नक्सलवाद उन्मूलन में छत्तीसगढ़ ने रचा नया इतिहास: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर, 13 दिसंबर 2025। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजनांदगांव में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के पिछले दो वर्ष राज्य के इतिहास में निर्णायक मोड़ साबित हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्य—31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद का पूर्ण उन्मूलन—की दिशा में राज्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और यह अब अंतिम सांसें गिन रहा है।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि बीते दो वर्षों में सुरक्षा बलों को अभूतपूर्व उपलब्धियाँ मिली हैं।

  • 500 से अधिक माओवादी मुठभेड़ों में निष्प्रभावी किए गए,

  • 4,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण या गिरफ्तारी दी,

जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि नक्सलवाद तेजी से कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के पराक्रम से बस्तर में दशकों पुरानी हिंसा के विरुद्ध निर्णायक बढ़त हासिल हुई है।

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नवीन पुनर्वास नीति: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए 15,000 आवास, वित्तीय सहायता और कौशल प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की नई पुनर्वास नीति की जानकारी देते हुए बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए व्यापक प्रावधान किए गए हैं।
नीति के अंतर्गत:

  • 15,000 प्रधानमंत्री आवासों की स्वीकृति,

  • 3 वर्षों तक 10,000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता,

  • कौशल विकास प्रशिक्षण,

  • रोजगार एवं उद्यमिता आधारित कार्यक्रम,

उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि “गोलीबारी की भाषा छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ना अब बस्तर में हकीकत बन रहा है।” पंडुम कैफ़े जैसे नवाचार आज सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक बन रहे हैं।

400 से अधिक गाँव पुनः आबाद, सुरक्षा कैंपों का विस्तार और बुनियादी सेवाओं की पहुंच

मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर में सुरक्षा कैंपों के तेजी से खुलने, प्रशासन की मजबूत उपस्थिति और जनविश्वास बढ़ने से 400 से अधिक गाँव पुनः आबाद हो चुके हैं।
नियद नेल्ला नार योजना के माध्यम से इन क्षेत्रों में:

  • सड़क

  • बिजली

  • पेयजल

  • स्वास्थ्य सुविधाएँ

  • शिक्षा

  • मोबाइल नेटवर्क

  • राशन–कार्ड प्रणाली

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जैसी सेवाएँ अब सुगमता से उपलब्ध हो रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “जहाँ कभी गोलीबारी की आवाज आती थी, आज वहाँ स्कूल की घंटियाँ बज रही हैं। कई गाँवों में वर्षों बाद ध्वजारोहण हुआ और लोग निर्भीक होकर चुनावों में भाग ले रहे हैं।”

बस्तर को भविष्य का विकास केंद्र बनाने की तैयारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर अब तेजी से कृषि, सिंचाई, वनोपज, पशुपालन और लघु उद्योगों के बड़े केंद्र के रूप में उभर रहा है।
नई औद्योगिक नीति (2024–30) के अंतर्गत नक्सल–प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिनमें:

  • वनोपज आधारित वैल्यू एडिशन,

  • प्रसंस्करण इकाइयाँ,

  • ग्रामीण उद्यमिता,

  • स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और स्थायी आय के अवसर,

शामिल हैं। इससे बस्तर में आर्थिक पुनर्जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है।

पर्यटन को मिला उद्योग का दर्जा: बस्तर वैश्विक मानचित्र पर उभरता आकर्षण

मुख्यमंत्री ने बताया कि पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिए जाने से बस्तर अब वैश्विक स्तर पर तेजी से पहचान बना रहा है।
कुटुमसर गुफा, जलप्रपात, अबूझमाड़ के वन और जनजातीय सांस्कृतिक धरोहर अब पर्यटन आकर्षण के केंद्र बन रहे हैं।

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होम-स्टे मॉडल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है और जनजातीय समाज को नए रोजगार उपलब्ध करा रहा है।

“नक्सलवाद उन्मूलन जनता और जवानों की संयुक्त जीत”

मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद के सफाए की यह ऐतिहासिक प्रगति राज्य के शहीद जवानों के बलिदान, सुरक्षा बलों के अथक प्रयास, और जनता के विश्वास की जीत है।
उन्होंने विश्वास जताया कि देश के नेतृत्व के संकल्प के अनुरूप बस्तर नक्सलवादमुक्त होकर विकास की मुख्यधारा में शामिल होगा।