दिल्ली में छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति का जलवा, मुख्यमंत्री ने की राज्य की विकास योजनाओं की चर्चा
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य दिवस समारोह ने एक नई ऊर्जा का संचार किया। इस अवसर पर, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने समारोह का उद्घाटन किया और छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा के बारे में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे, कृषि नवाचार और उद्योगों के विकास के लिए ठोस कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनना है।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ पवेलियन का दौरा किया और वहां के विभिन्न स्टॉल्स में जाकर लोक कलाकारों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ को “संभावनाओं की भूमि” बताते हुए कहा कि राज्य अब “सशक्त भारत” के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है।
इस उत्सव का मुख्य आकर्षण था छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक नृत्यों की शानदार प्रस्तुतियां, जिन्हें राज्य के लोक कलाकारों ने मंच पर पेश किया। गौरा-गौरी, भोजली, राउत नाचा, सुआ और पंथी जैसे प्रमुख नृत्य दर्शकों के बीच एक नई ऊर्जा लेकर आए। इन नृत्यों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक परंपराएं और लोक संगीत की अद्भुत झलक देखने को मिली।
दर्शकों ने इन नृत्य प्रस्तुतियों का भरपूर स्वागत किया, और यह सांस्कृतिक संध्या छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कला को जीवंत रूप में प्रदर्शित करने का बेहतरीन अवसर बन गई। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता और लोक कला को बढ़ावा देना राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है, और इस तरह के आयोजनों से राज्य की पहचान देश और दुनिया में और मजबूत होगी।