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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की रजत जयंती पर गरिमामय समारोह : राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने की न्यायपालिका की उपलब्धियों की सराहना

रायपुर, 26 सितम्बर 2025। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना का रजत जयंती समारोह महामहिम राज्यपाल रमेन डेका के मुख्य आतिथ्य में गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। न्यायालय के न्यायाधीशों ने मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तथा केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू को पौधा और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत एवं अभिनंदन किया।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधि मंत्री गजेन्द्र यादव, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम में रजत जयंती पर केंद्रित स्मारिका का भी विमोचन किया गया।

राज्यपाल रमेन डेका ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना राज्य निर्माण के साथ हुई और तब से यह न्याय, संविधान और नागरिक अधिकारों का प्रहरी बनकर खड़ा है। उन्होंने न्यायपालिका में नैतिकता, सुदृढ़ीकरण और आम जनता को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया। राज्यपाल ने कहा कि “न्याय केवल सामर्थ्यवान लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि गांव, गरीब और आम जनों के लिए भी समान रूप से सुलभ होना चाहिए।” उन्होंने प्रथम मुख्य न्यायाधीश डब्ल्यू.ए. शिशक और उनके उत्तराधिकारियों के योगदान को नमन करते हुए न्यायालय की 25 वर्ष की यात्रा को गौरवपूर्ण बताया।

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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि “छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा है, और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हाईकोर्ट भी अपनी 25 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पूरी कर चुका है।” उन्होंने बिलासपुर को उच्च न्यायालय के कारण मिली नई पहचान का उल्लेख करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी दूरदृष्टि से राज्य और उच्च न्यायालय की स्थापना संभव हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार न्यायिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि विधि एवं विधायी विभाग के बजट में पिछले वर्ष 25% और इस वर्ष 29% की वृद्धि की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि “छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस ए.एम. खानविलकर, नवीन सिन्हा, अशोक भूषण, भूपेश गुप्ता और प्रशांत कुमार मिश्रा जैसे न्यायाधीश देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंचे हैं — यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है।” मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लागू भारतीय न्याय संहिता की सराहना करते हुए कहा कि “पूर्व की दंड संहिता का केंद्र ‘दंड’ था, जबकि नई संहिता का केंद्र ‘न्याय’ है।”

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उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जे.के. माहेश्वरी ने कहा कि “जहां धर्म है, वहीं विजय है। हमारा सच्चा कर्म और विचार ही धर्म है।” उन्होंने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में न्यायपालिका को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए विजन के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। माहेश्वरी ने कहा कि “आम आदमी न्यायालय के दरवाजे पर विश्वास लेकर आता है — हमें उस विश्वास को बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता बनानी चाहिए।”

कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा ने भी उपस्थित होकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना से जुड़ी अपनी स्मृतियाँ साझा कीं और संस्था को शुभकामनाएं दीं।
केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि “आज केवल न्यायपालिका के 25 वर्षों का उत्सव नहीं, बल्कि उस सुदृढ़ परंपरा का सम्मान है जिसने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में निरंतर योगदान दिया है।” उन्होंने न्याय की पहुँच को सरल बनाने, पारदर्शिता और तकनीकी नवाचारों को अपनाने के लिए हाईकोर्ट की सराहना की।

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मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने स्वागत भाषण में न्यायालय की स्थापना से लेकर अब तक की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने विधि के शासन को सुदृढ़ करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है।”
समारोह के अंत में न्यायाधीश संजय के अग्रवाल ने आभार प्रदर्शन किया।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधि मंत्री गजेन्द्र यादव, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव, तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सैम कोसी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश यतीन्द्र सिंह, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, डीजीपी अरूणदेव गौतम, महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत, विधायक धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, बार एसोसिएशन अध्यक्ष चंदेल सहित अनेक गणमान्य, न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।