सरकार बनी सहारा : मासूम शांभवी को मिला नया जीवन, स्वास्थ्य मंत्री ने दिलाया निःशुल्क इलाज का भरोसा
रायपुर, 02 सितंबर 2025/ बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के छोटे से गांव वरदली की 11 वर्षीय शांभवी गुरला की मासूम आंखों में पिछले कुछ महीनों से केवल एक सवाल था— “पापा, मुझे क्या हुआ है, मैं ठीक हो जाऊंगी ना?”
गांव के सामान्य किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली शांभवी 7वीं कक्षा की होनहार छात्रा है। पढ़ाई और खेलकूद में हमेशा आगे रहने वाली इस बच्ची की जिंदगी अचानक तब बदल गई, जब तीन महीने पहले बीजापुर जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने उसके माता-पिता को बताया कि उसे रियूमेटिक हार्ट डिजीज (RHD) है। यह सुनते ही पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई।
क्या है रियुमेटिक हार्ट डिजीज
रियूमेटिक हार्ट डिजीज (RHD) एक गंभीर हृदय रोग है, जो अक्सर बचपन या किशोरावस्था में होने वाले रियूमेटिक फीवर (Rheumatic Fever) की वजह से होता है। यह बीमारी गले के इंफेक्शन (Strep throat – स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण) का समय पर सही इलाज न होने पर विकसित होती है।
इलाज के लिए रायपुर रेफर करने की बात ने परिवार को और अधिक चिंतित कर दिया। घर की रोजमर्रा की आय मुश्किल से गुजारा चलाने लायक थी, ऐसे में रायपुर में बड़े अस्पताल का खर्च उठाना लगभग असंभव लग रहा था। मां की आंखों में आंसू और पिता के चेहरे पर चिंता की लकीरें शांभवी की बीमारी से भी बड़ी पीड़ा बन गई थीं।
आखिरकार, हिम्मत जुटाकर पिता शांभवी को लेकर सीधे स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल के पास पहुंचे। मासूम की आंखों की बेबसी देखकर मंत्री जी खुद भावुक हो उठे। उन्होंने बच्ची से स्नेहपूर्वक बात की और तुरंत ही रायपुर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट (ACI) के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. स्मित श्रीवास्तव से फोन पर संपर्क कर दिया।
स्वास्थ्य मंत्री ने परिवार को आश्वस्त किया— “इलाज तुरंत शुरू होगा, खर्च की चिंता मत करें। आपकी बेटी का इलाज सरकार कराएगी।” यह सुनते ही शांभवी की मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। कांपती आवाज़ में उन्होंने कहा— “मंत्री जी, आप हमारी बेटी को नया जीवन दे रहे हैं। हमारे लिए आप किसी देवदूत से कम नहीं।”
सरकार के निर्देश पर शांभवी को अब एसीआई रायपुर में भर्ती कराया गया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने उसकी जांच शुरू कर दी है। जल्द ही उसका इलाज शुरू होगा।
यह कदम केवल एक मासूम बच्ची के जीवन को बचाने की पहल नहीं है, बल्कि प्रदेश के हर गरीब और वंचित परिवार के लिए यह एक भरोसे का संदेश है कि राज्य उनकी हर मुश्किल घड़ी में साथ खड़ा है।
आज जब शांभवी मुस्कुराते हुए पिता से पूछती है— “पापा, मैं जल्दी खेल पाऊंगी ना?” तो पिता की आंखों में आंसू नहीं, बल्कि नई उम्मीद की चमक दिखाई देती है।

