हमर-लैब घोटाला: ₹411 करोड़ के घोटाले में आरोपी शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका हाईकोर्ट से खारिज
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य के बहुचर्चित ₹411 करोड़ मेडिकल खरीद घोटाले में मुख्य आरोपी शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका को सख्त टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया है। यह घोटाला ‘हमर-लैब’ योजना से जुड़ा हुआ है, जिसमें फर्जी कंपनियों और मिलीभगत के जरिए सरकारी धन की बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा,
“यह कोई सामान्य आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से किया गया संगठित घोटाला है। इस तरह के आर्थिक अपराध देश की अर्थव्यवस्था और जनविश्वास दोनों को गहरा नुकसान पहुंचाते हैं।”
क्या है हमर-लैब घोटाला?
साल 2021 में सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा ‘हमर-लैब’ योजना के तहत चिकित्सा उपकरणों और रसायनों की खरीदी की गई थी। लेकिन आरोप है कि:
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वास्तविक मांग और बजट की समीक्षा किए बिना ही ऑर्डर जारी किए गए
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उपकरणों की कीमतें अत्यधिक बढ़ाकर दर्शाई गईं
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आवश्यक प्रशासनिक स्वीकृति नहीं ली गई
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टेंडर की शर्तें कुछ खास कंपनियों को लाभ देने के लिए बनाई गईं
FIR के अनुसार, चोपड़ा ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों की फर्जी बिलिंग की। “पैकेजिंग”, “मेंटेनेन्स”, “लॉजिस्टिक्स”, और “कंसल्टेंसी” जैसी सेवाओं के नाम पर ₹150 करोड़ से अधिक के बिल बनाए गए।
कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत?
चोपड़ा के वकीलों ने दलील दी कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और उन्होंने खुद ₹351 करोड़ का नुकसान झेला है। उन्होंने यह भी कहा कि ईडीटीए ट्यूब की कीमत को गलत ढंग से ₹2352 प्रति पीस बताया गया, जबकि असली कीमत ₹23.52 थी।
हालांकि, न्यायालय ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा,
“वर्तमान चरण में जमानत देना भ्रष्ट आचरण को प्रोत्साहित करेगा और समाज को गलत संदेश देगा। आरोपी इस घोटाले का मुख्य लाभार्थी प्रतीत होता है।”
अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि इस तरह के आर्थिक अपराध केवल पैसों की चोरी नहीं, बल्कि जनहित, पारदर्शिता और सार्वजनिक संसाधनों की विश्वसनीयता पर हमला हैं।
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