सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बौखलाए नक्सली, नागरिकों पर उतारा गुस्सा,आत्मसमर्पण किए नेता के परिजनों की हत्या, दहशत फैलाने की कोशिश
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में माओवादियों ने एक बार फिर खूनी वारदात को अंजाम देते हुए आम नागरिकों के बीच खौफ पैदा करने की कोशिश की है। हाल के सुरक्षा अभियानों से कमजोर पड़ी माओवादी ताकतें अब बदले की कार्रवाई में जुट गई हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, माओवादी कमांडर वेल्ला के नेतृत्व में एक समूह ने बीती रात पेड्डाकोरमा गांव पर धावा बोला। इस हमले में उन्होंने आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व माओवादी नेता दिनेश मोडियम के परिजनों को निशाना बनाया। गांव में मौजूद लोगों के सामने झिंगू मोडियम, सोमा मोडियम और अनिल मड़वी की गला घोंटकर हत्या कर दी गई। यह हमला स्पष्ट रूप से माओवादियों की बौखलाहट का संकेत है।
पुलिस और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
स्थानीय पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए इसे “कायराना हरकत” बताया और कहा कि इस प्रकार की हिंसा का मकसद केवल आम लोगों में डर फैलाना है। पुलिस ने कहा कि हत्या के पीछे माओवादियों की हताशा और क्षेत्र में सिकुड़ते प्रभाव की झलक मिलती है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया ने इस घटना की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह हिंसा माओवादियों की गहरी निराशा को दर्शाती है, खासकर ऐसे समय में जब सरकार की ओर से बातचीत की संभावनाएं नजर नहीं आ रहीं।
हालात पर नियंत्रण के प्रयास
प्रशासन ने घटना के बाद तत्काल जांच टीम को मौके पर रवाना कर दिया है। साथ ही, जिन ग्रामीणों को माओवादियों ने कथित रूप से अगवा किया है, उनकी तलाश शुरू कर दी गई है।
सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाइयों से बस्तर के कई हिस्सों में माओवादियों का प्रभाव पहले ही काफी कम हुआ है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना माओवादी आंदोलन के कमजोर पड़ते प्रभाव और उसकी अंतिम छटपटाहट का संकेत हो सकती है।
बस्तर में माओवादियों की यह ताजा हिंसक कार्रवाई बताती है कि सुरक्षा बलों की रणनीति उन्हें गंभीर चोट पहुँचा रही है। लेकिन आम नागरिकों की सुरक्षा अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस घटना के बाद किस तरह की ठोस कार्रवाई करता है और माओवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई को किस दिशा में ले जाता है।