छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को रोकने के लिए नया कानून लाने की घोषणा
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने सोमवार को विधानसभा में एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश में जल्द ही धर्मांतरण रोकने के लिए एक नया कानून लागू किया जाएगा। यह घोषणा भाजपा विधायक अजय चंद्राकर द्वारा उठाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर की गई।
वर्तमान में राज्य में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 लागू है, लेकिन गृह मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस कानून को और सख्त बनाया जाए। नए कानून में प्रभावी प्रावधान होंगे, जिनसे धर्मांतरण गतिविधियों पर कड़ी रोक लगाई जा सकेगी। गृह मंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश में कुल 153 संस्थाएं विदेशी फंडिंग पर चल रही हैं, जिन्हें राज्य से भी 200 से 300 करोड़ रुपये का फंड मिलता है। इन संस्थाओं पर अब कड़ी निगरानी रखी जाएगी, ताकि किसी भी संस्था द्वारा धर्मांतरण के लिए इस फंड का दुरुपयोग न किया जाए।
धर्मांतरण को लेकर विधायकों की चिंताएं
धर्मांतरण पर चर्चा के दौरान विधानसभा में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, नीलकंठ टेकाम, सुशांत शुक्ला और रायमुनी भगत ने अपनी चिंता जाहिर की। रायमुनी भगत ने बताया कि उनके क्षेत्र में 80 साल की एक महिला अपने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करने की उम्मीद कर रही थीं, लेकिन गांव में ईसाई बाहुल्य होने के कारण अंतिम संस्कार ईसाई परंपरा से किया गया।
वहीं विधायक नीलकंठ टेकाम ने कहा कि बस्तर में हर रविवार को बड़ी संख्या में लोग प्रार्थना सभा के नाम पर एकत्र होते हैं, जिससे धर्मांतरण का खतरा बना रहता है। राजेश मूणत ने सवाल उठाया कि बिना पुलिस को सूचित किए चंगाई सभाओं का आयोजन कैसे हो रहा है, और क्या थानों में इसके लिए अलग से जांच की व्यवस्था है?
सरकार का रुख
गृह मंत्री विजय शर्मा ने इन चिंताओं का गंभीरता से उत्तर देते हुए कहा कि इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि संबंधित शिकायतों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा में यह घोषणा की कि राज्य सरकार जल्द ही धर्मांतरण को रोकने के लिए एक नया कानून बनाएगी, जो धर्मांतरण गतिविधियों पर पूरी तरह से नियंत्रण करेगा।
गृह मंत्री ने कहा कि प्रदेश में धर्मांतरण पर पूरी तरह से नजर रखी जा रही है, और सरकार इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित करेगी। नए कानून के आने से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि धर्मांतरण से संबंधित किसी भी गतिविधि पर रोक लगे और राज्य के लोगों का धर्म स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके।