छत्तीसगढ़: जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप की अध्यक्षता में विभागीय समीक्षा बैठक, सख्त दिशा-निर्देश जारी
छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप की अध्यक्षता में एक अहम विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव, प्रमुख अभियंता और कार्यपालन अभियंता स्तर तक के सभी अधिकारी मौजूद थे। मंत्री कश्यप ने बैठक में विभाग की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की गहरी समीक्षा की और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि विभागीय कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बैठक में मंत्री ने टेंडर प्रक्रिया में फर्जी जानकारी देकर भाग लेने वाले 108 ठेकेदारों की पहचान की। उन्होंने इन ठेकेदारों पर एक सप्ताह के भीतर सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए, जिसमें उनकी ईएमडी (ईARNEST MONEY DEPOSIT) राजसात करना और उन्हें एक वर्ष के लिए निविदा प्रक्रिया से बाहर करना शामिल है। मंत्री कश्यप ने प्रमुख अभियंता को इस कार्रवाई का रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए।
मंत्री कश्यप ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे 100 दिनों के भीतर सभी लंबित निविदाओं को स्वीकृत कर काम शुरू कराएं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यदि कोई अधिकारी लापरवाही करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में कश्यप ने बस्तर संभाग के देऊरगांव और मटनार योजना के काम को शीघ्र शुरू कराने के निर्देश दिए। इन योजनाओं से स्थानीय लोगों को जल समस्या से राहत मिलने की उम्मीद है और इंद्रावती नदी के जल का उचित उपयोग भी किया जा सकेगा। इसके अलावा, उन्होंने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी रखने की भी बात कही।
मंत्री ने प्रमुख अभियंता, अधीक्षण अभियंता और कार्यपालन अभियंता को अपने-अपने कार्यों का निरीक्षण करने के सख्त निर्देश दिए। साथ ही, सभी संभागों में उड़नदस्ता गठित कर निर्माण कार्यों की औचक जांच भी करवाने की बात की गई।
कश्यप ने सुशासन तिहार के तहत प्राप्त सभी जन शिकायतों और मांगों को वर्गीकृत कर मई के अंत तक उनका निराकरण करने का निर्देश प्रमुख सचिव को दिया। यदि शिकायतें अन्य विभागों से संबंधित हैं, तो उन्हें दो दिन के भीतर संबंधित विभाग को भेजने का आदेश भी दिया गया।
इस बैठक के दौरान मंत्री कश्यप ने अधिकारियों को यह स्पष्ट किया कि विभागीय कार्यों में गुणवत्ता और समयसीमा को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की जाएगी, ताकि जल संसाधन परियोजनाओं में कोई कोताही न हो।