छत्तीसगढ़ की रजत जयंती पर राजधानी में काव्य–गोष्ठी का आयोजन, साहित्यकारों ने कविता की सामाजिक भूमिका पर की चर्चा
छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में संकेत साहित्य समिति द्वारा बुधवार को राजधानी रायपुर में स्थानीय कवियों की एक भव्य काव्य–गोष्ठी आयोजित की गई। यह कार्यक्रम सिविल लाइन स्थित वृंदावन सभागृह में आयोजित हुआ, जिसमें शहर और प्रदेश भर के अनेक साहित्यकारों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं भाषाविद डॉ. चित्तरंजन कर थे, जबकि अध्यक्षता विख्यात कवि–व्यंग्यकार गिरीश पंकज ने की। साहित्यकार डॉ. मृणालिका ओझा, संजीव ठाकुर, शरदेन्दु झा और गणेश दत्त झा कार्यक्रम के विशेष अतिथि रहे।
“कविता सबकी बात कहती है” — डॉ. चित्तरंजन कर
गोष्ठी की शुरुआत में समिति के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने छत्तीसगढ़ की 25 वर्षीय यात्रा, उसकी सांस्कृतिक विरासत और प्रगतिशील विकास पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट किया।
मुख्य अतिथि डॉ. कर ने अपने प्रभावशाली संबोधन में कहा कि कविता किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की आवाज़ बनती है। उन्होंने रेखांकित किया कि समय का मूल्य वही समझता है जो सृजन में निरंतर लगा रहता है।
“कविता जीवन जीने की कला है” — गिरीश पंकज
अध्यक्षीय उद्बोधन में गिरीश पंकज ने कविता की उपयोगिता और उसके सामाजिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कविता रचनाकार की छवि चमकाने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाली रचनात्मक शक्ति है। उन्होंने यह भी कहा कि विषय–आधारित काव्य–गोष्ठियाँ नई रचनाओं को जन्म देने की प्रेरणा देती हैं।
कार्यक्रम का संचालन कवयित्री पल्लवी झा ने सहज और प्रभावी शैली में किया।
अनेक कवियों ने सुनाई अपनी रचनाएँ
काव्य–गोष्ठी में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों एवं कवयित्रियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। इनमें डॉ. चित्तरंजन कर, गिरीश पंकज, डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, संजीव ठाकुर, डॉ. मृणालिका ओझा, लतिका भावे, डॉ. सुखदेवराम साहू, डॉ. डी.पी. देशमुख, डॉ. दीनदयाल साहू, शकुंतला तरार, डॉ. कोमल प्रसाद राठौर, पल्लवी झा, सुषमा पटेल, अनिता झा, सुमन शर्मा वाजपेयी, गोपाल जी सोलंकी, छबिलाल सोनी, राजेश अग्रवाल, डॉ. रविन्द्र सरकार, श्रवण चोरनेले, हरीश कोटक, माधुरी कर, रीना अधिकारी, ऋषि साव, दिलीप वरवंडकर, शिवशंकर गुप्ता, मन्नु लाल यदु, प्रीति रानी तिवारी, लवकुश तिवारी, यशवंत यदु, कमलेश अग्रवाल, अनिल सिंह और देवाशीष अधिकारी शामिल थे।
आभार प्रदर्शन
कार्यक्रम के अंत में हरीश कोटक ने संकेत साहित्य समिति की ओर से सभी उपस्थित साहित्यकारों, कवियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट किया।
यह काव्य–गोष्ठी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान, साहित्यिक परंपरा और रचनात्मकता के उत्सव का एक महत्वपूर्ण अवसर बनकर उभरी।

