आंध्र प्रदेश के मारेडुमिल्ली जंगलों में कुख्यात नक्सली कमांडर माड़वी हिडमा ढेर
आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के मारेडुमिल्ली वन क्षेत्र में मंगलवार तड़के सुरक्षा बलों और माओवादी दल के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में भारत के सबसे ख़तरनाक वांछित नक्सल नेताओं में से एक, माड़वी हिडमा, मारा गया। 51 वर्षीय हिड़मा के साथ उसकी पत्नी मदकम राजे और चार अन्य माओवादी भी ढेर हुए।
सूत्रों के अनुसार, हिड़मा का दल छत्तीसगढ़ से भागने की कोशिश कर रहा था, तभी सुबह 6 से 7 बजे के बीच ग्रेहाउंड कमांडो और स्थानीय पुलिस ने उन्हें घेर लिया। बीते कई हफ्तों से तीन राज्यों—आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा—की सीमा पर नक्सल गतिविधियों की मौजूदगी को लेकर लगातार इनपुट मिल रहे थे, जिसके बाद इस संयुक्त अभियान को अंजाम दिया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि हिड़मा को संगठन का “सबसे घातक कमांडर” माना जाता था।
कौन था माड़वी हिडमा?
हिड़मा का जन्म छत्तीसगढ़ के दक्षिण सुकमा के पुरवाती गांव में हुआ था। दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद वह माओवादी संगठन से जुड़ गया। गुरिल्ला युद्ध और सैन्य रणनीति में उसकी दक्षता के कारण वह संगठन में तेज़ी से ऊपर उठता चला गया। ‘हिड़मालू’ और ‘संतोष’ नामों से भी जाना जाने वाला यह नेता बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों का चेहरा बन गया था।
उसने पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर 1 की कमान संभाली और दंडकारण्य विशेष ज़ोनल कमेटी का सक्रिय सदस्य रहा। सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में उसकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती थी। बाद में वह CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य बना।
हिड़मा पर सुरक्षा बलों पर किए गए कम से कम 26 बड़े हमलों में शामिल होने का आरोप था—दंतेवाड़ा, दरभा घाटी और सुकमा के कई मामलों में उसका नाम सामने आया। उस पर एक करोड़ रुपये से अधिक का इनाम घोषित था और वह NIA की ‘मोस्ट वॉन्टेड’ सूची में शामिल था। वर्ष 2016 में उसे एक निम्न-स्तरीय कैडर के रूप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जल्द ही वह दोबारा संगठन में शीर्ष भूमिका में लौट आया।
कई कोशिशों के बाद सफलता
सुरक्षा बलों ने लंबे समय से उसे जिंदा पकड़ने के कई प्रयास किए थे। 2021 में करीब 2,000 जवानों के बड़े अभियान का लक्ष्य हिड़मा को घेरना था, परंतु उस दौरान बल माओवादी घात में फंस गए और 23 जवान शहीद हुए।
हिड़मा की मौत ऐसे समय में हुई है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगले वर्ष मार्च तक नक्सलवाद को समाप्त करने के अपने संकल्प को दोहराया है। अधिकारियों का कहना है कि उसकी मृत्यु बस्तर और दंडकारण्य क्षेत्रों में माओवादी नेटवर्क के लिए बड़ा झटका साबित होगी।

