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छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पतालों में सप्लाई दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल, 9 दवाओं के बैच अमानक पाए गए

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिल रही दवाओं की गुणवत्ता को लेकर चिंता गहराती जा रही है। पिछले 13 दिनों में जांच के दौरान नौ दवाओं के बैच मानक पर खरे नहीं उतरे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से इन दवाओं की सप्लाई रोक दी है और संबंधित कंपनियों से स्टॉक वापस मंगाने के निर्देश जारी किए हैं।

सूत्रों के अनुसार, जिन कंपनियों की दवाओं के नमूने फेल पाए गए हैं, उनमें से तीन को तीन वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। अन्य पर कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। अधिकारियों का कहना है कि लगभग हर माह कुछ न कुछ दवाओं के बैच अमानक पाए जा रहे हैं, जिससे यह मुद्दा गंभीर रूप ले रहा है।

दवा गुणवत्ता नियंत्रण के लिए नई व्यवस्था

इस स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) ने दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नई व्यवस्था लागू की है। अब सभी दवा निर्माता कंपनियों को अपनी पैकिंग (कार्टन) पर जीएस-1 प्रणाली के अंतर्गत क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य किया गया है।

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इस क्यूआर कोड को स्कैन करते ही मोबाइल स्क्रीन पर दवा का नाम, निर्माण कंपनी, निर्माण तिथि, बैच नंबर, लाइसेंस विवरण और एक्सपायरी डेट जैसी जानकारी स्वतः प्रदर्शित होगी। यह सुविधा करीब 1,800 प्रकार की दवाओं पर लागू की गई है और इसे कॉर्पोरेशन की ई-टेंडर पॉलिसी में शामिल किया गया है।

अधिकारियों का मानना है कि इस नई प्रणाली से नकली, अमानक और एक्सपायर दवाओं की आपूर्ति पर अंकुश लगेगा और दवा वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी।

इन दवाओं के बैच पाए गए अमानक

जांच में जिन दवाओं के बैच अमानक पाए गए हैं, उनमें शामिल हैं:

  • कैल्शियम (एलिमेंटल) विद विटामिन D3 टैबलेट

  • एलबेंडाजोल टैबलेट

  • हेपारिन सोडियम IU/ML इंजेक्शन IP

  • बैक्लोफेन 10 एमजी टैबलेट

  • आयरन सुक्रोज 100 एमजी इंजेक्शन

  • मेटफार्मिन 500 एमजी और ग्लाइमपिराइड 2 एमजी सस्टेन्ड रिलीज टैबलेट

  • ओफ्लॉक्सासिन और ओर्निडाजोल संयोजन

तीन अस्पताल आयुष्मान योजना से निलंबित

इधर, महासमुंद जिले में तीन निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से तीन माह के लिए निलंबित कर दिया गया है। इनमें महानदी हॉस्पिटल (महासमुंद), सेवा भवन (पिथौरा) और अंबिका हॉस्पिटल (सरायपाली) शामिल हैं।

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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आई. नागेश्वर राव ने बताया कि ये अस्पताल पात्र मरीजों को योजना के तहत मुफ्त इलाज देने से इनकार कर रहे थे। लोगों से अपील की गई है कि यदि कोई अस्पताल आयुष्मान कार्ड से निशुल्क उपचार देने से मना करे, तो इसकी शिकायत टोल-फ्री नंबर 104 पर या सीएमएचओ कार्यालय में लिखित रूप में की जा सकती है।

नई व्यवस्था के साथ राज्य सरकार का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में भरोसा बहाल करना और दवा वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना है।