छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ‘चाइनीज़ मांझा’ पर सख़्त रुख अपनाया, राज्यभर में सख़्त कार्रवाई के निर्देश
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चाइनीज़ सिंथेटिक मांझा (पतंग की डोर) के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर लगे प्रतिबंध को सख़्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह आदेश 3 नवम्बर को एक स्वप्रेरित जनहित याचिका (सुओ मोटू पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान दिया, जो जनवरी 2025 में सात वर्षीय बच्चे की मौत के बाद दर्ज की गई थी। बच्चे की गला काटने वाली मांझे से मौत ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी थी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने पारित किया। आदेश लिखते हुए न्यायमूर्ति गुरु ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और राज्य को ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने होंगे।
राज्य सरकार को निगरानी बढ़ाने और जागरूकता फैलाने के निर्देश
कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज़ मांझा की बिक्री या उपयोग कहीं भी न हो, इसके लिए नियमित निरीक्षण और निगरानी की जाए। साथ ही प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इसके खतरों के बारे में बताया जाए।
न्यायालय ने कहा, “राज्य सरकार की यह ज़िम्मेदारी है कि वह नागरिकों के जीवन और सुरक्षा की रक्षा के लिए सतर्क रहे और सभी निवारक कदम उठाए।”
मुआवज़े और कार्रवाई की जानकारी कोर्ट को दी गई
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि मृतक बच्चे के परिवार को शुरुआती तौर पर ₹50,000 का मुआवज़ा दिया गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर ₹2.5 लाख कर दिया गया। इसके अलावा, 53 दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिनमें से 48 पर पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। नगरपालिका निकायों ने इन दुकानों से जब्त की गई चाइनीज़ मांझा को भी नष्ट कर दिया है।
राज्य की ओर से उपमहाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने अदालत को बताया कि मामले के दर्ज होने के बाद से अब तक राज्य में इस तरह की कोई नई घटना सामने नहीं आई है और प्रशासन लगातार निगरानी कर रहा है।
सुनवाई का उद्देश्य पूरा हुआ, याचिका निस्तारित
कोर्ट ने माना कि उसके द्वारा दिए गए पूर्व निर्देशों के अनुपालन से सुओ मोटू कार्रवाई का उद्देश्य काफी हद तक पूरा हो चुका है। इसलिए इस जनहित याचिका को अब निस्तारित (disposed of) कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने अंत में यह दोहराया कि किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यदि भविष्य में ऐसे हादसे दोबारा होते हैं तो राज्य की जवाबदेही तय की जाएगी।

