CGMSC घोटाला: छत्तीसगढ़ में ईओडब्ल्यू की बड़ी कार्रवाई, पांच अधिकारियों की गिरफ्तारी
रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा के बजट सत्र के समाप्त होने के बाद, आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक बड़ा कदम उठाया है। इसने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) के चर्चित रीएजेंट्स खरीद घोटाले में पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में दो जनरल मैनेजर्स (जीएम) भी शामिल हैं। इस मामले में हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई को भी पकड़ा गया है।
ईओडब्ल्यू ने बताया कि इन सभी को जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा। इससे पहले, सप्लायर कंपनी मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शाशांक चोपड़ा को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। इस घोटाले में करोड़ों रुपये का हेरफेर किया गया था, जिसे लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो ने भी जांच तेज कर दी है।
जांच की दिशा में अहम सवाल
मामला इतना गंभीर है कि ईओडब्ल्यू ने सीजीएमएससी और हेल्थ विभाग के दर्जनभर अधिकारियों से लंबी पूछताछ की थी। पूछताछ के बाद ही रात के समय इन पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। अब तक की जानकारी के अनुसार, इन आरोपियों पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें सरकारी धन का गलत तरीके से इस्तेमाल और जरूरत से ज्यादा सामान की खरीदारी शामिल है।
आरोपियों की सूची और उनके कृत्य
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वसंत कौशिक
वसंत कौशिक, जो कि सीजीएमएससी के जीएम टेक्निकल रहे हैं, को 2021 में हाई कोर्ट के आदेश पर पद से हटाया गया था। दरअसल, कोर्ट ने एक टेंडर के खिलाफ गंभीर प्रकरण होने के बाद वसंत कौशिक को पद से हटाने का आदेश दिया था। हालांकि, अधिकारियों ने इस आदेश की अवमानना की, जिसके बाद हाई कोर्ट ने सीजीएमएससी को फटकार लगाई और फिर उन्हें पद से हटाया गया। -
डॉ. अनिल परसाई
डॉ. अनिल परसाई को सीजीएमएससी के स्टोर इंचार्ज के तौर पर कार्यरत थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी आवश्यकता के मेडिकल उपकरणों, दवाइयों और रीएजेंट्स की आपूर्ति की आवश्यकता का दावा किया, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। उनके द्वारा की गई खरीदारी में सौ करोड़ से ज्यादा की कीमत के रीएजेंट्स खरीदे गए, जिनकी असल में कोई आवश्यकता नहीं थी। -
क्षिरौंद्र रावटिया
क्षिरौंद्र रावटिया, जो कि एक बायोमेडिकल इंजीनियर हैं, पर आरोप है कि उन्होंने मेडिकल इक्विपमेंट्स की खरीदी में कोई जरूरी जांच-पड़ताल नहीं की। उनका काम था कि वह इन उपकरणों की गुणवत्ता और आपूर्ति की स्थिति की निगरानी करें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, सीजीएमएससी को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा, और पांच करोड़ रुपये के उपकरणों को 10 करोड़ रुपये में खरीदा गया।
इस घोटाले की गहन जांच जारी है, और ईओडब्ल्यू इस मामले में और भी कई अधिकारियों की गिरफ्तारी की संभावना जताई है। इस मामले ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की खरीद प्रक्रिया को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, और सरकार अब इस मामले में सख्त कदम उठाने की ओर बढ़ रही है।