छत्तीसगढ़ में जमीन नामांतरण की प्रक्रिया में ऐतिहासिक सुधार, अब रजिस्ट्री के साथ ही जुड़ जाएगा नया मालिकाना हक
रायपुर 24अपैल25। जमीन खरीदने-बेचने की प्रक्रिया अब छत्तीसगढ़ में और भी पारदर्शी और सरल हो गई है। राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए नामांतरण (म्यूटेशन) प्रक्रिया में आमूलचूल बदलाव किया है। अब जमीन की रजिस्ट्री होते ही संबंधित खरीदार का नाम भू-अभिलेखों में स्वचालित रूप से दर्ज हो जाएगा। इसके लिए अलग से तहसील में आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी।
रजिस्ट्रार को मिली जिम्मेदारी, तहसीलदार की भूमिका समाप्त
सरकार द्वारा जारी गजट नोटिफिकेशन के तहत अब तहसीलदारों के पास नामांतरण की शक्तियाँ नहीं रहेंगी। यह अधिकार अब रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को सौंप दिया गया है। यह बदलाव छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 24(1) और धारा 110 में संशोधन कर किया गया है।
पहले की व्यवस्था क्या थी?
अब तक जमीन की रजिस्ट्री के बाद खरीदार को तहसील जाकर नामांतरण का आवेदन देना होता था। इस प्रक्रिया में समय भी लगता था और फर्जीवाड़े की आशंका भी बनी रहती थी। किसानों के लिए यह सबसे बड़ी परेशानी थी, क्योंकि नामांतरण के बिना वे सरकारी योजनाओं और समर्थन मूल्य का लाभ नहीं ले पाते थे।
नई व्यवस्था से क्या होंगे फायदे?
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रजिस्ट्री के साथ ही स्वत: नामांतरण
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फर्जी दस्तावेज़ों और भू-माफिया पर अंकुश
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प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय की बचत
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किसानों को तुरंत मिलेगा लाभ
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भूमि विवादों में संभावित कमी
सरकार का उद्देश्य
सरकार का मानना है कि यह फैसला ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के साथ-साथ आम नागरिकों को भी राहत देगा। इससे जमीन के मामलों में पारदर्शिता आएगी और घोटालों पर प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित होगी। छत्तीसगढ़ में यह नया नियम राज्य को डिजिटल और पारदर्शी भूमि प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
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