एडवेंचर के शौकीन है तो एक्सप्लोर कीजिए छत्तीसगढ़ में गुफ़ाएं
हम देख रहे हैं कि वर्तमान में युवाओं में एडवेंचर टुरिज्म के प्रति उत्साह देखा जा रहा है, एडवेंचर टुरिज्म काफ़ी उफ़ान पर है। इसके अंतर्गत, नदी-नालों, पहाड़ों की ट्रेकिंग, पहाड़ों में गुफ़ाओं की खोज एवं उसमें समय व्यतीत करना तथा भूतहा स्थानों पर रात गुजारने के रोमांच को अनुभव किया जाता है। इस रोमांच की खोज में युवा दीवाने हो रहे हैं एवं इसके लिए दूरी एवं समय सीमा का भी कोई बंधन नहीं समझते।
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एडवेंचर के लिए छत्तीसगढ़ में स्थानों की कमी नहीं है, जिस तरह का एडवेंचर युवा पसंद करते हैं, वे सभी यहां मौजूद हैं। हम केव एडवेंचर टुरिज्म की चर्चा करेंगे। प्राकृतिक संसाधन एवं रोमांचकारी भू-भाग तथा सघन वनों से आच्छादित इस भूमि में भूतल से लेकर पहाड़ों में असंख्य गुफ़ाएं विद्यमान हैं, कई गुफ़ाएं तो ऐसी हैं जो एक्सप्लोर ही नहीं हुई हैं। उनके विषय में सिर्फ़ इतनी ही जानकारी मिलती है कि फ़लां जगह गुफ़ा है, पर किसी ने उसके भीतर जाने की हिम्मत नहीं की है।
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सरगुजा अंचल छत्तीसगढ़ का एक ऐसा भू-भाग है जहाँ प्रकृतिदत्त सौंदर्य की अकूत सम्पदा है। वैसे तो सरगुजा संभाग में पांच जिले समाहित हैं पर हम सरगुजा जिले की अम्बिकापुर विधानसभा में रोमांचकारी एवं ऐतिहासिक गुफ़ाओं की भ्रमण करते हैं। यहाँ की प्रमुख गुफ़ा रामगढ़ की सीताबेंगरा एवं जोगीमाड़ा को माना जाता है, क्योंकि इनमें मौर्यकालीन ब्राह्मी भित्तिलेख मिलते हैं। इससे इन गुफ़ाओं का ऐतिहासिक एवं सीता माता से जुड़े होने के कारण पौराणिक महत्व भी है, परन्तु प्रकृति निर्मित कई गुफ़ाएं रामगढ़ पहाड़ पर हैं। सीता बेंगरा के समीप बांए तरफ़ एक खोह भी है जिसे शेरमाड़ा कहा जाता है।
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सीताबेंगरा के नीचे हथफ़ोड़ सुरंग है, जो लगभग 180 फ़ुट लम्बी है। इसका नाम हथफ़ोड़ इसलिए भी पड़ा कि इस प्राकृतिक सुरंग से हाथी निकल जाते हैं। हथफ़ोड़ से नीचे से गुजर कर जब हम सीता बेंगरा के पीछे पहुंचते हैं तो यहाँ भी तीन गुफ़ाएं हैं। जिसमें से एक को लक्ष्मण बेंगरा कहा जाता है। इस गुफ़ा तक पहुंचने के लिए चट्टान को काटकर पैड़ियाँ बनाई हुई हैं, जिससे थोड़ी सी मेहनत करने के बाद यहाँ तक पहुंचा जा सकता है, बाकी दोनों गुफ़ाएं भी समानांतर हैं, लक्ष्मण बेंगरा में मानव बसाहट के चिन्ह के रुप में सोने के पत्थर का चबूतरा भी है।
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चलकर जब हम पहाड़ी पहले मोड़ के पास पहुंचते है तो बाएं हाथ पर थोड़ी दूर पर भालू माड़ा नामक गुफ़ा है। छोटे तुर्रा से दांए हाथ पर हनुमान गुफ़ा है। जब हम रामगढ़ के शीर्ष पर पहुंचते हैं तो यहाँ से चलकर तालाब के पार करने के बाद पहाड़ के कगार पर एक रहस्यमय गुफ़ा है, जिसका मुहाना दो ढाई-फ़ुट है, कहते हैं कि इसमें शिवलिंग है तथा कोई साधू यहां नित्य पूजा करने आया करता था।
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यहाँ से दांए तरफ़ पहाड़ी का चक्कर काटने पर कगार पर दुर्गा गुफ़ा है, जो वर्तमान में निवास करने के लायक है, इसके मुहाने पर ग्रिल का गेट लगा है एवं आठ-दस आदमी आराम से यहां रात गुजारने का आनंद ले सकते हैं। वैसे तो रामगढ़ पहाड़ पर अन्य गुफ़ाएं भी हैं, पर उन्हें एक्सप्लोर नहीं किया गया है। इसलिए एक्सप्लोर करने के रोमांच का भी मजा लिया जा सकता है।
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रामगढ़ से महेशपुर की दूरी सात किमी है, यहाँ से जजगी होते हुए हमें केदमा मार्ग पर बारह किमी की दूरी पर लक्ष्मणगढ़ में भी रानुमाड़ा नामक एक विशाल गुफ़ा प्राप्त होती है। यह प्राकृतिक गुफ़ा भू-तल में है। मुख्य मार्ग से सौ मीटर नीचे उतरकर चलने पर जब अचानक गुफ़ा का विशाल मुहाना दिखाई देता है तो आश्चर्य से मुंह खुला का खुला रह जाता है।
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इस गुफ़ा का मुहाना लगभग बीस फ़ुट ऊंचा होगा। यहाँ भीतर सतत जल प्रवाह होते रहता है तथा यह गुफ़ा इतनी बड़ी है कि हजार आदमी आराम से समा सकते हैं। इस अंचल में भालुओं की अच्छी खासी संख्या है तथा तेंदूए भी दिखाई देते हैं। यह गुफ़ा भी वन्य प्राणियों का आदर्श निवास स्थल है, क्योंकि जल के साथ आराम करने की जगह उपलब्ध है। परन्तु सावधानी के साथ यहाँ भरपूर रोमांच का अनुभव किया जा सकता है।
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ऐसी एक अन्य गुफ़ा नागमाड़ा ब्लॉक मुख्यालय लखनपुर से उत्तर-पश्चिम दिशा में 15 किमी की दूरी पर गुमगरा-भरतपुर मार्ग पर गुमगरा के सघन वन क्षेत्र में यह बड़ी गुफ़ा स्थित है। इस गुफ़ा को लेकर कई रहस्यमय कथाएं ग्रामीणों के मुझ से सुनाई देती हैं। गुफ़ा का मुहाना लगभग आठ फ़ुट की गोलाई लिए हुए है। इस गुफ़ा में उतने के लिए वृक्षों की लताओं एवं जड़ों का सहारा लेना होता है तथा यहाँ का जल ग्रहण अनिवार्य माना जाता वरना अनिष्ट की आशंका रहती है।
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जैसा कि इस गुफ़ा का नाम नागमाड़ा (नागों के रहने का स्थान) है, नामारुप इस गुफ़ा में नाग, करैत, अहिराज, चिंगराग, अजगर सहित अन्य जहरीले सर्प पाए जाते हैं तथा वे बिलों से झांकते भी दिखाई देते हैं। इसलिए वनवासी इन्हें प्रसन्न रखने के लिए पूजा करते हैं।
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वनवासी कहते हैं कि त्यौहारों के अवसरों पर इस गुफ़ा से मुहरी, चांग, डफ़ड़ा आदि प्राचीन वाद्ययंत्रों की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। आज तक यह रहस्य बना हुआ कि प्राचीन काल में बजाए जाने वाले इन वाद्यों का वादन त्यौहारों के अवसर कौन करता है? इस गुफ़ा में रजस्वला स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है, कहा जाता है इनके प्रवेश करने से गुफ़ा जलमग्न हो जाती है।
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खैर ऐसे प्राकृतिक एवं प्राचीन स्थानों के साथ स्थानीय मान्यताएं एवं किंवदन्तियाँ जुड़ी होती है, जो रोमांचकारी होती हैं। उदयपुर के रामगढ़ से लेकर मैनपाट तक की पहाड़ियों में ऐसी सैकड़ों गुफ़ाएं मिल जाएंगी, जिन्हें आप एक्सप्लोर कर सकते हैं। अगर आप रोमांच प्रेमी है एवं रोमांच का अनुभव करना है तो अवश्य ही सरगुजा अंचल की इन गुफ़ाओं में समय गुजारिए एवं वास्तविक रोमांच का अनुभव प्राप्त कीजिए।
कैसे पहुंचे?
रायपुर तक विमान सेवा उपलब्ध है।
रायपुर से अम्बिकापुर के लिए नित्य रेल सेवा है।
रायपुर से बस द्वारा लखनपुर की दूरी 320 किमी।
अम्बिकापुर, लखनपुर, उदयपुर में टैक्सी सर्विस है।
ठहरने के लिए अम्बिकापुर में होटल रेस्टहाऊस हैं।
ग्रामीण अंचल में होम स्टे का उपयोग कर सकते है।
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ललित शर्मा
आपके लेख को पढ़कर बस मज़ा आ गया,अब explore करने की तैयारी है।धन्यवाद भैया जानकारी देने के लिए।
देखो कब समय मिलता है , जाना तो जरूर है। सुबह ही हरि सिंह क्षत्री जी भी बात हुई है