\

मुगलों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक वीर दुर्गादास राठौर

भारतीय मिट्टी में ऐसे वीर प्रत्येक कालखंड में जन्में जिन्होंने आक्रांताओं और अनाचारियों को न केवल चुनौती दी अपितु उन्हें झुकने पर भी विवश किया। ऐसे ही वीर यौद्धा हैं दुर्गादास राठौर।

Read more

हर असंभव को संभव कर अपने जीवन को साधना बनाने वाले राष्ट्र योगी एकनाथजी

भारत के सुदूर दक्षिण कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शीला स्मारक, एकनाथजी की प्रबल कार्यशैली और ध्येय के प्रति निष्ठा का उदाहरण है। एकनाथजी की इसी अद्वितीय कार्यरूपी साधना व राष्ट्र के प्रति संपूर्ण निष्ठा के कारण, उनकी पुण्यतिथि को साधना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Read more

भारत की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई

रानी को किले से हटकर झाँसी के रानी महल में आना पड़ा। उन्होंने इसे अपने स्वाभिमान पर आघात माना और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लिया। रानी ने नाना साहब पेशवा से संपर्क कर योजना बनाई और महिला ब्रिगेड का गठन किया, जिसका नेतृत्व झलकारी बाई को सौंपा गया।

Read more

स्वदेशी आंदोलन के आर्य नायक पंजाब केसरी लाला लाजपतराय

आर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा हिसार आदि नगरों में वकालत करने लगे थे।

Read more

भगवान बिरसा मुँडा ने अंग्रेजों से मुक्ति के लिये जीवन का बलिदान : जनजातीय गौरव दिवस

क्रान्तिकारी विरसा मुँडा ऐसी ही विभूति थे। उनमें अद्भुत आध्यात्म चेतना थी। जिससे पूरे समाज ने उन्हें “भगवान बिरसा मुँडा” कहकर शीश नवाया। भारत राष्ट्र की अस्मिता और साँस्कृतिक रक्षा के लिये भारतीय जनजातीयों ने सदैव संघर्ष किया है।

Read more

काशी हिंदू विश्वविद्यालय: महामना के स्वप्न की साकार प्रतिमूर्ति

यह संस्थान केवल एक विश्वविद्यालय भर नहीं अपितु भारत राष्ट्र की संपूर्णता की छविकृति है। यह महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की उस स्वप्न छवि का साकार स्वरूप है जो उन्होंने भारत को एक गौरवमयी राष्ट्र केलिये पीढ़ी निर्माण का स्वप्न देखा था। वे बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्त्व के धनी थे। इसीलिए उन्हें “महामना” का सम्मान मिला। उनसे पहले और उनके बाद यह सम्मान किसी को न मिला।

Read more