हमारे नायक

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धर्म रक्षा में बलिदान भाई मणि सिंह जी

बलिदानी भाई मणिसिंह का उल्लेख लगभग सभी सिक्ख ग्रंथों में है। एक अरदास में भी उनका नाम आता है। पर उनके जन्म की तिथि पर मतभेद है। मुगल काल में उन्हें परिवार सहित बंदी बनाया था और मतान्तरण के लिये दबाव डाला गया। वे तैयार नहीं हुये तो पूरे परिवार के एक एक अंग काटकर प्राण लिये गये।

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जंगल सत्याग्रह की नायिका वीरांगना दयावती

यावती ने लगभग 40 महिलाओं के साथ सभा स्थल में प्रवेश किया। महिलाओं का जत्था पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच खड़ा हो गया। पुलिस बल महिलाओं को हटाने बंदूक के संगीनों से धमकाने लगे। इससे दयावती बिफर गई और एक बंदूकधारी पुलिस वाले के सामने खड़ी होकर गोली चलाने के लिए ललकारने लगी।

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जेल यात्रा और संविधान सभा तक का सफर : पृथ्वी सिंह आजाद

ऐसे चिंतक विचारक और क्राँतिकारी पृथ्वी सिंह आजाद का जन्म 15 सितंबर 1892 को पंजाब प्रांत के मोहाली क्षेत्र अंतर्गत ग्राम लालरू में हुआ था। इन दिनों इस क्षेत्र को साहिबजादा अजीतसिंह नगर के नाम से जाना जाता है।

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स्वाधीनता संग्राम के प्रखर प्रवक्ता: लाला हरदयाल

सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी और विचारक लाला हरदयाल की गणना उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में होती है जिन्होंने केवल भारत ही नहीं अपितु अमेरिका और लंदन में भी अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध जनमत जगाया था।

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चार्ल्स टेगार्ट पर हमले की योजना और गोपीनाथ साहा का बलिदान

पराधीनता के दिनों में कुछ अंग्रेज अधिकारी ऐसे थे जो अपने क्रूरतम मानसिकता के चलते भारतीय स्वाधीनता सेनानियों से अमानवीयता की सीमा भी पार जाते थे। बंगाल में पदस्थ ऐसा ही अधिकारी चार्ल्स ट्रेगार्ट था। जिसे मौत के घाट उतारने का निर्णय सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी गोपीनाथ साहा ने लिया। समय पर हमला बोला वह बच गया लेकिन एक अन्य नागरिक मारा गया जिस आरोप में साहा को फाँसी दी गई ।

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ऐसे बलिदानी क्राँतिकारी हैं जिन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ

स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर अकेले ऐसे बलिदानी क्राँतिकारी हैं जिन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ, उनका पूरा जीवन तिहरे संघर्ष से भरा  है। एक संघर्ष राष्ट्र की संस्कृति और परंपरा की पुनर्स्थापना के लिये किया। दूसरा संघर्ष अंग्रेजों से मुक्ति केलिये। और तीसरा संघर्ष भारत के अपने ही बंधुओं के लांछन के झाँछन झेलने का।

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