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भारतीय शिक्षा प्रणाली के शिल्पकार डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : शिक्षक दिवस विशेष

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान अद्वितीय और अतुलनीय है। उन्होंने शिक्षा को केवल जानकारी प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका माना। उनके विचारों और प्रयासों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को नई दिशा और दृष्टिकोण दिया। वे आज भी एक आदर्श शिक्षक और शिक्षाविद् के रूप में याद किए जाते हैं, जिनका जीवन और कार्य हमें शिक्षा के महत्व को समझने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।

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तोता मैना जैसे पक्षी पालने से हो सकती है जेल : वन विभाग का सख्त निर्देश

छत्तीसगढ़ राज्य में तोते और अन्य संरक्षित पक्षियों की अवैध बिक्री के खिलाफ कठोर कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य में इन पक्षियों की अवैध खरीदी-बिक्री के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए, वन विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश दिया है

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हिन्दी साहित्य में व्यंग्य विधा के संस्थापक हरिशंकर परसाई

उनकी लोकप्रिय व्यंग्य रचनाओं में ‘सदाचार का ताबीज’,और ‘इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा ‘रानी नागफनी की कहानी’ उनका बहुचर्चित व्यंग्य उपन्यास है। वह हमेशा साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ रहे। धार्मिक और जातीय संकीर्णताओं का उन्होंने अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से हमेशा विरोध किया। वह अपनी कलम से साम्प्रदायिक शक्तियों का पर्दाफ़ाश भी करते रहे।

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भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक अनसुनी वीरगाथा

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सन् 1857 में रानी अवंतीबाई लोधी को प्रथम महिला वीरांगना के रूप में माना जाता है, जिन्होंने स्वदेश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। 20 मार्च 1858 को रानी अवंतीबाई ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए।

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डॉक्टरों और नर्सों की प्रेरणास्रोत फ्लोरेन्स नाइटेंगल

आधुनिक अस्पतालों में नर्सिंग यानी मरीज़ों की सेवा -सुश्रुषा को मानवता की सेवा का पर्याय बनाया फ्लोरेन्स नाइटिंगेल ने, जिनकी आज पुण्यतिथि है। उन्हें डॉक्टरों और नर्सों की प्रेरणास्रोत भी कहा जा सकता है।

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क्या कभी आर्यों ने द्वविड़ों पर हमला किया था?

भारत के आजाद होने के बाद देश के नागरिको को अंग्रेजों के षडयंत्र से मुक्त क्यों नहीं किया जा सका..? यह भी एक विडंबना है! बच्चे पाठ्य पुस्तक पढ़ कर यही जानते समझते हैं कि आर्य एक विदेशी आक्रणकारी हैं। इसी कारण देश में जातिगत मतभेद एवं अन्य भेद अभी भी कायम है। नये डीएनए अनुसंधान के परिणामों को पाठ्यपुस्तकों में स्थान देकर भारत नई पीढी को सत्य से अवगत कराना चाहिए।

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