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बच्चों के अधिकारों और उज्ज्वल भविष्य का संकल्प : अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस

भारत में बच्चों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की ओर बढ़ी है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं। 2014 के बाद, बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ और नीतियाँ लागू कीं, जिनसे कुछ सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।

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एक और उलगुलान-डी-लिस्टिंग के सूत्रधार जनजातीय उद्धारक बाबा कार्तिक उरांव

ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि वह जनजातीय कहां रह जाता है? वह तो ईसाई बन जाता है। फिर ऐसे व्यक्ति को आरक्षण इत्यादि का लाभ क्यों मिले? यही यक्ष प्रश्न आज भी खड़ा हुआ है।

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हर घटना की एक ही कहानी : लव जिहाद

तब कुछ स्वर ऐसे थे कि वहाँ मंदिर के स्थान पर अस्पताल बनना चाहिए। लेकिन जब एक लड़की को कोई धोखा देता है, नाम और पहचान बदलकर संपर्क बढ़ाता है, अपने प्रेम जाल में फँसाकर शारीरिक संबंध बनाता है और लड़की के गर्भवती होने पर अपनी असली पहचान दिखाकर धर्मान्तरण का दबाव बनाता है।

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भारत की प्रगति को अस्थिर एवं अवरुद्ध करने का षड्यंत्र

यह भारतीय समाज जीवन में भय, आतंक और तनाव फैलाकर प्रगति अवरुद्ध करने का नया षड्यंत्र है। इसमें भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय और भारत के भीतर की दोनों शक्तियों का गठजोड़ दिखता है।

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कुटुम्ब परंपरा का विघटन समाज के पतन का बड़ा कारण

एक ओर मनुष्य चाँद को पार करके सूर्य पर पहुँचने का प्रयास कर रहा है, अपनी श्रेष्ठता का डंका पीट रहा है। तो दूसरी ओर छोटी छोटी मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार करके हत्याएँ की जा रहीं हैं। भारत भी पीछे नहीं। एक ओर भारत अपने परम वैभव पर पहुँचने की नई अंगड़ाई ले रहा है।

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राम राज्य स्थापित करना चाहते थे गाँधीजी : 2 अक्टुबर विशेष आलेख

सत्य और अहिंसा के आधार पर राष्ट्र रचना केलिये गाँधीजी ने राम राज्य स्थापित करने की कल्पना की थी  वे

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