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बिलासपुर और जगदलपुर स्वदेश दर्शन 2.0 में शामिल

छत्तीसगढ़ के धार्मिक और पर्यटन स्थल की भव्यता एवं उसके कायाकल्प के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा इन जगहों का चयन किया जाना। प्रदेशवासियों के लिए खुशी का विषय है। जिसके लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के 3 करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत का सहृदय आभार व्यक्त किया है।

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रायपुर में हैरिटेज वॉक श्रृंखला की दूसरी वॉक में युवाओं का उत्साह

आज की यात्रा लिली चौक से शुरू होकर नागरीदास मंदिर, बावलीवाले हनुमान, जैतूसाव मठ, जगन्नाथ मंदिर होते हुए तुरी हटरी पर समाप्त हुई। इस वॉक का नेतृत्व अगोरा इको-टूरिज्म के अनुभवी डॉ. आलोक कुमार साहू ने किया। उनके व्यापक ज्ञान और आकर्षक शैली ने सभी प्रतिभागियों के लिए रायपुर के इतिहास को जीवंत कर दिया।

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ॠतुओं के अनुसार भोजन करें और स्वस्थ रहें

हमारे पूर्वज स्वस्थ रहा करते थे एवं प्रसन्नता से अपनी पूरी उम्र जी कर जाते थे। आज व्याधियों के कारण अकाल मृत्यू का प्रतिशत बढ गया है। हम तीस चालिस बरस पीछे का हमारा जीवन देखें तो हम हमेशा ॠतु में होने वाली उपज का ही सेवन करते थे। भारत में वर्षा, शीत एवं ग्रीष्म तीन प्रमुख ॠतुएं होती हैं। वर्षाकाल में हरी सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता था। ग्रीष्म ॠतु में ही वर्षाकाल के भोजन की तैयारी कर ली जाती थी।

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विश्व सर्प दिवस एवं भागसूनाग की पौराणिक कथा

आज विश्व नाग दिवस, जब गोरखा रेजिमेंट की स्थापना हुई तो सैनिकों ने भागसू नाग को अपना कुल देवता स्थापित किया। भागसूनाग मंदिर से थोड़ा आगे वही डल झील है। छोटी किंतु पहाड़ की तराई में स्थित यह झील सुंदर भी है और मनमोहक भी। पहाड़ की तरफ देवदार के दो सौ फीट से ऊँचे वृक्षों की आदृश्य श्रृंखला और डल झील के सभी तरफ कांक्रीट से बना पक्का घाट और सड़क टहलने के लिए कॉरिडोर का काम करते हैं।

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पेन्ड्रा के धनपुर में टिकरे की खुदाई में मिली भगवान राम की प्रतिमा

धनपुर में सोमवार को जेसीबी से खेत की खुदाई के दौरान भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की प्राचीन मूर्ति, पिलर और अन्य अवशेष मिले। किसान मंगल सिंह गोंड़ ने मूर्ति को सुरक्षित रख दिया है। इस स्थान से पहले भी पुरातात्विक महत्व की अन्य सामग्रियाँ भी प्राप्त होते रही हैं। इससे ज्ञात होता है कि यहां कोई पुराना नगर रहा होगा।

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छत्तीसगढ़ में हैरिटेज वॉक श्रृंखला : रायपुर के इतिहास की खोज

रायपुर के इतिहास के बारे में बताया कि कलचुरि शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख पंद्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों के हैं, जिनसे ब्रह्मदेव के वंश में उसके पिता रामचंद्र के क्रम में सिंहण और लक्ष्मीदेव की जानकारी मिलती है। रायपुर शहर का उल्लेख 1790 में आए अंग्रेज यात्री डेनियल रॉबिन्सन लेकी के यात्रा वृतांत में भी मिलता है, जिसमें उन्होंने बताया कि यहां बड़ी संख्या में व्यापारी और धनाढ्य लोग निवास करते हैं।

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