बीमार पर्यावरण की पुकार: अब भी समय है संभलने का
आज विश्व पर्यावरण दिवस हम सबके लिए यह चिंता और चिंतन का दिन है कि उसे प्रदूषण की इस गंभीर बीमारी से कैसे राहत मिले!
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Read Moreराजधानी रायपुर की समाजसेवी संस्था ‘दोस्त’ (डॉक्टर ऑन स्ट्रीट) ने आज गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड अंतर्गत बेहराडीह गाँव में एक निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया।
Read Moreराजधानी रायपुर के गुडविल हॉस्पिटल में आज एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम बाल मधुमेह से पीड़ित बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए आयोजित किया गया
Read Moreएक महत्वपूर्ण चिकित्सा उपलब्धि के तहत, एम्स रायपुर ने जटिल महाधमनी (एओर्टिक) विकृति के एक मामले का सफलतापूर्वक उपचार किया है।
Read Moreकभी फुर्सत निकालकर गूगल सर्च पर दो शब्द टाइप करें-‘टाइप वन डायबिटीज’ और ‘सुसाइड’। सर्च रिजल्ट की जो लंबी सूची स्क्रीन पर उभरेगी, वह आपको चौंका देगी। पता लगेगा कि एक अदद बीमारी भी इन्सान को इतने अवसाद और भय से भर सकती है कि वह मौत को ही गले लगा ले। पहेली मगर यह है कि जिस बीमारी का पुख्ता इलाज दशकों पहले खोजा जा चुका, वह आज भी इस कदर डरावनी और मारक क्यों है?
Read Moreहमारे पूर्वज स्वस्थ रहा करते थे एवं प्रसन्नता से अपनी पूरी उम्र जी कर जाते थे। आज व्याधियों के कारण अकाल मृत्यू का प्रतिशत बढ गया है। हम तीस चालिस बरस पीछे का हमारा जीवन देखें तो हम हमेशा ॠतु में होने वाली उपज का ही सेवन करते थे। भारत में वर्षा, शीत एवं ग्रीष्म तीन प्रमुख ॠतुएं होती हैं। वर्षाकाल में हरी सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता था। ग्रीष्म ॠतु में ही वर्षाकाल के भोजन की तैयारी कर ली जाती थी।
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