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अपनी माटी से जोड़ते हैं त्यौहार : अक्षय तृतीया

अक्ति तिहार छत्तीसगढ़ का प्रमुख कृषक त्यौहार है। अंचल में अक्ति तिहार से खेती-किसानी का प्रारंभ हो जाता है। अक्ति माने अक्षय तृतीया, यह बैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला त्यौहार है। वैसे तो यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे कई प्राचीन मान्यताएं हैं।

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प्रदर्शन कलाओं में रघुनंदन

जनजातीय संस्कृति का भी रामायण से नज़दीकी रिस्ता है। यहाँ कातकरी खुद को वानर सेना का वंशज मानते हैं। भील माता शबरी को अपना वंशज मानते हैं।सह्याद्रि क्षेत्र के वनवासी हर साल बोहाडा उत्सव मनाते हैं।

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दम तोड़ रहा एक कुटीर उद्योग : ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्ट

किसी ज़माने में राजे -महाराजे भले ही सोने -चाँदी के बर्तनों में भोजन करते रहे हों ,लेकिन उस दौर में

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दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार सम्पन्न

रायपुर .“दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव”विषय पर हुई वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि रामलीला केवल आस्था तक सीमित नहीं हैं। वास्तव में यह तो संस्कार का अहम् स्रोत है।

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रामायण विश्व महाकोश निर्माण को गति देने संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने बैठक ली

रामायण विश्व महाकोश की तैयारी की यह २१ वी बैठक थी जो माननीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी

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प्राकृतिक जल जैसा मजा बोतल बंद प्राणहीन जल में कहां?

नायक बंजारों का उल्लेख इतिहास में मिलता है। ये व्यवसाय के उद्देश्य से भ्रमण करते थे तथा इनका मुख्य व्यवसाय नमक का व्यापार था।

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