लोक-संस्कृति

futuredलोक-संस्कृति

गोगा नवमी और जैव विविधता संरक्षण

गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है, जो सांपों की सुरक्षा और सांपों के प्रति आदरभाव का संदेश देता है। सांप कृषि और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे चूहों और अन्य छोटे जानवरों की आबादी को नियंत्रित रखते हैं। गोगा नवमी के अवसर पर, सांपों की पूजा से उनके महत्व को समझने और उन्हें न मारने की शिक्षा दी जा सकती है, जिससे सांपों की प्रजातियों का संरक्षण होता है।

Read More
futuredधर्म-अध्यात्मलोक-संस्कृति

कृष्ण का वैश्विक प्रभाव और उनके दर्शन का महत्व

गीता का प्रभाव वैश्विक स्तर पर है और इसे विभिन्न भाषाओं में अनुवादित किया गया है। महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, एल्डस हक्सले, और हेनरी डेविड थोरो जैसे महान व्यक्तियों ने गीता से प्रेरणा ली है। गीता ने जीवन के संघर्षों से जूझने के लिए एक मार्गदर्शन प्रदान किया है और इसे दुनिया भर में एक गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक ग्रंथ के रूप में सम्मानित किया जाता है।

Read More
futuredलोक-संस्कृति

छत्तीसगढ़ में आठे कन्हैया और जन्माष्टमी उत्सव

रायगढ़ के राजा भूपदेवसिंह के शासनकाल में नगर दरोगा ठाकुर रामचरण सिंह जात्रा से प्रभावित रास के निष्णात कलाकार थे। उन्होंने इस क्षेत्र में रामलीला और रासलीला के विकास के लिए अविस्मरणीय प्रयास किया। गौद, मल्दा, नरियरा और अकलतरा रासलीला के लिए और शिवरीनारायण, किकिरदा, रतनपुर, सारंगढ़ और कवर्धा रामलीला के लिए प्रसिद्ध थे। नरियरा के रासलीला को इतनी प्रसिद्धि मिली कि उसे ‘छत्तीसगढ़ का वृंदावन‘ कहा जाने लगा।

Read More
futuredलोक-संस्कृति

खमरछठ के माध्यम से जैव विविधता संरक्षण का संदेश

कमरछठ पर्व में उपयोग होने वाली सभी वनस्पतियों, जीवों और प्राकृतिक सामग्रियों का संरक्षण और संवर्धन किया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की जैव विविधता संरक्षण की अद्वितीय परंपरा को प्रदर्शित करता है, जिसमें वैज्ञानिकता और धार्मिकता का समन्वय है।

Read More
futuredलोक-संस्कृति

शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

सुप्रसिद्ध शहनाई वादक ‘भारत रत्न’ उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ को आज उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र नमन। शहनाई वादन में उनके कला -कौशल को देखकर उन्हें ‘शहनाई का जादूगर ‘भी कहा जा सकता है। उंन्होने बनारस को अपनी कर्मभूमि बनाकर जीवन पर्यन्त माँ गंगा के तट पर शहनाई वादन किया। उनके शहनाई वादन में जादुई सम्मोहन हुआ करता था। श्रोता मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे।

Read More
futuredलोक-संस्कृति

शक्ति, संरक्षण और संस्कृति का प्रतीक : रक्षा सूत्र

भविष्य पुराण में बताया गया है कि रक्षा कवच बांधने की प्रथा की शुरूवात महाराज इंद्र की पत्नी शचि ने किया था। जब देव और दानवों के बीच युद्ध चल रहा था तब इंद्राणी ने अपने पति की विजय कामना के लिए उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र और चांवल-सरसों को बांधकर उनकी सुरक्षा और विजय की कामना की थी जिससे वे असुरों पर विजय प्राप्त कर सके थे।

Read More