लोक-संस्कृति

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आस्था, परंपरा और प्रकृति से जुड़ा उत्सव हरियाली तीज

हरियाली तीज का पर्व न केवल सुहागिनों के लिए आस्था और सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति, पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण का भी संदेश देता है। जानिए इस पर्व की सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक और पारिस्थितिक महत्ता।

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प्रकृति, परंपरा और परिश्रम का उत्सव: छत्तीसगढ़ का हरेली तिहार

छत्तीसगढ़ का हरेली तिहार न केवल किसानों का पर्व है, बल्कि जैव विविधता संरक्षण, हरियाली और परंपरा का संदेश देने वाला सांस्कृतिक उत्सव भी है।

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ऋषि-कृषि संस्कृति का गढ़ छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ का हरेली पर्व न केवल कृषि उपकरणों की पूजा का दिन है, बल्कि यह ग्रामीण जीवन, लोकविश्वास, परंपरा, गेड़ी खेल और तांत्रिक साधनाओं के साथ एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव भी है।

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भारतीय सिनेमा की पहली शिक्षित स्टार नायिका से कालजयी ‘माँ’ तक का प्रेरक सफर

लीला चिटनिस ने 1930‑80 के बीच हिट फिल्मों, लक्स विज्ञापन और माँ की कालजयी भूमिकाओं से हिंदी सिनेमा में इतिहास रचा, सामाजिक बंदिशें भी तोड़ीं।

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स्वर, लय और भाव की दिव्य संगति : भारतीय संगीत

वर्ष 2025 की थीम “Healing Through Harmony” है, जो भावनाओं को शांत करने, तनाव कम करने और वैश्विक स्तर पर समुदायों को एकजुट करने की संगीत की शक्ति को रेखांकित करती है।

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आचार्य अभिनव गुप्त की परंपरा में सनातन भारत का चैतन्य दर्शन

कश्मीर की बर्फीली चोटियों में जितनी स्थिरता है, उतनी ही गहराई वहाँ की दर्शन परंपरा में है। हिमालय की गोद में बसा कश्मीर केवल भौगोलिक सौंदर्य का प्रतीक नहीं, अपितु भारतीय चैतन्य परंपरा का तीर्थ है। इस परंपरा के श्रेष्ठतम प्रतिनिधि हैं – आचार्य अभिनवगुप्त

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