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सूर्योपासना पर्व छठ पूजा का सांस्कृतिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सूर्य को वैदिक साहित्य में ‘सूर्य नारायण’ या ‘सविता’ के रूप में पूजा जाता है। ऋग्वेद में सूर्य को जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक माना गया है, और उसे सभी प्राणियों के अस्तित्व का आधार बताया गया है।

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गोर्वधन पूजा का कारण एवं महत्व

आज गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथाएं है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है।

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छत्तीसगढ़ का प्रमुख लोकपर्व गौरी गौरा पूजन

‘लोक’ आडम्बरहीन होता है। लोक जीवन सीधा-सादा ओर सरल होता है। इसलिए उसके आचार-विचार, कार्य और व्यवहार भी सीधे-सहज और सरल होते हैं। लोक के देवी-देवता और उसकी पूजा प्रार्थना भी लोक सम्मत होते हैं। जहाँ पार्वती, गौरी और शिव गौरा के रूप में लोक पूजित और लोक प्रतिष्ठित हैं ।

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छत्तीसगढ़ी लोक परम्परा में देवारी की पचरंगी छटा

छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति आज भी लोकजीवन मे संरक्षित है। सचमुच दीपावली अर्थात ‘देवारी’ छत्तीसगढ़ की संस्कृति का दर्पण है और पर्वों का महापर्व है। उजालों की फुलवारी देवारी सदैव खिलती रहे महकती रहे।

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संतान की दीर्घायु की कामना से मनाये जाने वाला लोकपर्व अहोई अष्टमी

अहोई आठें विशेष रूप से संतान की सुरक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और उनकी समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं निर्जल उपवास रखती हैं और रात को तारों के दर्शन कर या चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत पूर्ण करती हैं।

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भारत का प्रमुख सांस्कृतिक और सामाजिक त्योहार करवा चौथ

मध्यकालीन समय में, जब समाज में युद्ध और संघर्ष सामान्य थे, करवा चौथ व्रत का महत्व और भी बढ़ गया। युद्ध पर जाने वाले सैनिकों की पत्नियाँ, अपने पतियों की सुरक्षा और कुशलता के लिए यह व्रत रखती थीं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के माध्यम से वे अपने पतियों की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करती थीं।

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