मेरा गाँव मेरा बचपन

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छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और कृषि आधारित पहचान पोला और गरभ पूजा

छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं हरेली, गरभ पूजा और पोला तिहार। जानें इन कृषि आधारित त्यौहारों की परंपराओं, मान्यताओं और सामाजिक महत्व के बारे में।

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क्या सच में आती है दूसरे लोक से उड़न तश्तरी?

उड़न तश्तरी (UFO) केवल विज्ञान का रहस्य नहीं, बल्कि लोककथाओं, दादी की कहानियों और पौराणिक ग्रंथों में भी रची-बसी है। इस लेख में पढ़ें कैसे यह रहस्य कल्पना, संस्कृति और वैज्ञानिक खोजों के संगम से आकार लेता है।

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“स्कूटी दीदी” एनु बनी आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण की मिसाल

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की एनु, जिन्हें “स्कूटी दीदी” के नाम से जाना जाता है, ग्रामीण महिलाओं को दोपहिया प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं। मुख्यमंत्री ने उनके कार्यों की प्रशंसा की।

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भारत का सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव बैसाखी

बैसाखी की जड़ें प्राचीन भारत में गहरी हैं, जब यह मुख्य रूप से पंजाब और उत्तरी भारत के किसानों द्वारा एक फसल त्योहार के रूप में मनाया जाता था। यह वह समय था जब सर्दियों की फसलें, विशेष रूप से गेहूँ, तैयार होकर खेतों में सुनहरी चमक बिखेरती थीं।

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वनों का महत्व और संरक्षण की आवश्यकता : विश्व वानिकी दिवस

छत्तीसगढ़ में स्थित वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान अनेक दुर्लभ और संकटग्रस्त जीवों के लिए प्राकृतिक आवास प्रदान करते हैं। इसके अलावा, यहाँ की नदियों और आर्द्रभूमियाँ (वेटलैंड्स) जल संसाधनों को संरक्षित करने और जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक हैं।

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वसंत के संदेशवाहक महुआ के फ़ूल

महुआ और पलाश के खिलते हुए फूल वसंत के संदेशवाहक हैं, जो हमें ऋतुराज के आगमन की सूचना देते हैं. महुए के पेड़ों के नीचे बहुत जल्द उनके सुनहरे ,पीले फूलों की बारिश होगी। वसंत के इस मौसम में अभी महुए की कलियां धीरे -धीरे कुचिया रही हैं। जैसे ही फूल बनकर धरती पर उनका टपकना शुरू होगा , वनवासियों के लिए मौसमी रोजगार के भी दिन आ जाएंगे ।

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