मनकही

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जीवन की दौड़ में जीत का मंत्र आंतरिक शक्ति और धैर्य

कहानी के दोनों पात्रों के व्यवहार से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सफलता के लिए आत्मचिंतन और परिस्थितियों के प्रति सजगता आवश्यक है। कछुआ हमें सिखाता है कि अपनी अंतरात्मा से जुड़े रहकर और बाहरी परिस्थितियों का अवलोकन करते हुए कर्मपथ पर निरंतर चलते रहने से सफलता निश्चित है।

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जीवन में आध्यात्मिकता ले जाती है परमात्मा तक

मानव जीवन में ईश्वर की अवधारणा सदियों से रही है, परंतु इसका वास्तविक स्वरूप क्या है? यह आलेख इस गहन प्रश्न पर एक नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यहाँ हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि ईश्वर कोई बाहरी सत्ता नहीं, बल्कि हमारे भीतर निहित शक्ति का प्रतिबिंब है।

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पटरियों से परे जीवन के अनकहे सफर

मानव जीवन की यात्रा माँ के गर्भ से आरंभ होती है और जन्म के पश्चात इस लोक में आकर प्राणी जीवन की यात्रा सांसारिकता एवं संघर्ष के साथ ईश्वर द्वारा प्रदत्त सांसों के तारतम्य में जन्म से मृत्यु तक चलायमान रहती है। बस और रेल की यात्रा सभी करते हैं। परन्तु इन दोनों की यात्राओं में बहुत अंतर है।

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लेखक का लेखन कब मरता है ?

जब कलम किराये पर चढ़ जाती है, तो लेखन कमजोर पड़ जाता है। लेखक की कलम को जब और कहीं से मार्गदर्शन मिलता है, तो वे धीरे-धीरे लेखक मरने लगता हैं। उनकी आत्मा की प्रखरता और तेजस्विता समाप्त हो जाती है। शब्दों की शक्ति कमजोर हो जाती है, और विचारों में गहराई नहीं रह जाती।

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