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राष्ट्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों का समाधान : कृष्ण और गीता

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए- ‘ धर्मो रक्षति रक्षितः। ‘ हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा। धर्म के अन्तर्गत व्यक्ति का शरीर, परिवार, समाज, राष्ट्र, विश्व, चराचर जगत् और विश्व चेतना का समावेश है। हम शरीर धर्म की पालना करेंगे तो शरीर हमारी रक्षा करेगा। परिवार धर्म के पालन से परिवार हमारी रक्षा करेगा।

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रामचरितमानस का नैतिक और सामाजिक प्रभाव

तुलसीदास की रचनाओं का भारतीय जनमानस पर व्यापक प्रभाव पड़ा। रामचरितमानस का भारतीय जनमानस पर अत्यधिक गहरा और व्यापक प्रभाव पड़ा है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह महाकाव्य न केवल धार्मिक ग्रंथ के रूप में पूजनीय है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, समाज और जीवन दर्शन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है।

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चातुर्मास का वैज्ञानिक महत्व और आध्यात्मिक रहस्य

भारतीय वाड्मय में चातुर्मास का विशेष महत्व है। यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है। इसका समापन

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समाज को सशक्त एवं संस्कारित करने का केन्द्र हैं मंदिर

मंदिर  केवल पूजा, उपासना, प्रार्थना या आराधना के स्थल भर नहीं है॔। ये अंतरिक्ष की अनंत ऊर्जा से प्रकृति और

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श्रावण मास में शैवोपासना एवं प्रमुख शिवालय

श्रावण मास हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पंचांग के सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस महीने में शिव भक्त विभिन्न धार्मिक क्रियाओं और अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। श्रावण मास का नामकरण ‘श्रवण’ नक्षत्र के आधार पर हुआ है जो इस महीने में प्रमुख रूप से दिखाई देता है।

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गुरूपूर्णिमा पर राष्ट्र के प्रति समर्पण ही है सच्ची दक्षिणा

छत्रपति शिवाजी ने समर्थ गुरू रामदास के चरणों में सम्पूर्ण मराठा साम्राज्य को आततायी मुगलों से मुक्त करवाकर अर्पित कर दिया। गुरू चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के माध्यम से नवभारत की स्थापना का संकल्प सिद्ध किया। ऐसे अनेक उदाहरण भारतीय इतिहास में प्रत्यक्ष हैं । विविध धर्म, संप्रदाय, वर्ग, विचार से जुड़े श्रद्धालु अपने – अपने सिद्ध गुरूओं के प्रति आदरभाव अभिव्यक्त करते हुए उनका पूजन और दक्षिणा अर्पण करते हैं।

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