चातुर्मास का वैज्ञानिक महत्व और आध्यात्मिक रहस्य
भारतीय वाड्मय में चातुर्मास का विशेष महत्व है। यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है। इसका समापन
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Read moreमंदिर केवल पूजा, उपासना, प्रार्थना या आराधना के स्थल भर नहीं है॔। ये अंतरिक्ष की अनंत ऊर्जा से प्रकृति और
Read moreश्रावण मास हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पंचांग के सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस महीने में शिव भक्त विभिन्न धार्मिक क्रियाओं और अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। श्रावण मास का नामकरण ‘श्रवण’ नक्षत्र के आधार पर हुआ है जो इस महीने में प्रमुख रूप से दिखाई देता है।
Read moreछत्रपति शिवाजी ने समर्थ गुरू रामदास के चरणों में सम्पूर्ण मराठा साम्राज्य को आततायी मुगलों से मुक्त करवाकर अर्पित कर दिया। गुरू चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के माध्यम से नवभारत की स्थापना का संकल्प सिद्ध किया। ऐसे अनेक उदाहरण भारतीय इतिहास में प्रत्यक्ष हैं । विविध धर्म, संप्रदाय, वर्ग, विचार से जुड़े श्रद्धालु अपने – अपने सिद्ध गुरूओं के प्रति आदरभाव अभिव्यक्त करते हुए उनका पूजन और दक्षिणा अर्पण करते हैं।
Read more“जो आत्मवोध कराये वह गुरु है, मनुष्य या प्राणी का जीवन तो सीमित होता है। समय और आयु अवस्था उनकी क्षमता और ऊर्जा को प्रभावित करती है, अतएव गुरु चिरजीवी होना चाहिए”।
Read more“यह सबके जीवन के लिए एक सबक है कि संकट का सामना करो, वीरता से सामना करो। बंदरो की तरह जीवन की कठिनाईयां भी पीछे हट जाएंगी, यदि हम उनसे दूर भागने की वजाय निडर होकर सामने खड़े हो जाएं । कायर कभी भी विजय हासिल नहीं कर सकता। हमें डर और कष्टों का सामना करना होगा, उनके स्वतः दूर चले जाने की आशा छोड़कर ।
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