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चिंतक विचारक और 1857 की क्रांति अग्रदूत महान साधक महर्षि दयानंद सरस्वती : पुण्यतिथि विशेष

स्वामी दयानन्द सरस्वती को बहुत विरोध का सामना करना पड़ा। यह विरोध दोनों तरफ से था एक ओर धर्मान्तरित हिन्दुओः की घर वापसी केलिये और दूसरी ओर आडंबर मुक्ति अभियान के लिये भी। और इसी कुचक्र के अंतर्गत उन्होंने देह त्यागी। एक वेश्या के कुचक्र से हुआ। कहते हैं षड्यंत्र कारियों ने स्वामी जी के रसोइये को लालच देकर अपनी ओर मिला लिया और दूध में विष मिलाकर स्वामी जी को पिला दिया।

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भगवान धन्वंतरि के प्राकट्य एवं स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व धनतेरस

भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म और भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) में एक महान चिकित्सक और देवताओं के वैद्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्हें स्वास्थ्य, औषधि और चिकित्सा विज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। धन्वंतरि की उपासना विशेष रूप से आयुर्वेद और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों द्वारा की जाती है।

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दूसरों को दोष मत दो : स्वामी विवेकानन्द

‘एक मंदिर के सामने एक सन्यासी रहता था और उसी के पास वाले घर में एक वेश्या भी रहती थी । सन्यासी रोजाना उस वेश्या पर चिल्लाता, उसकी निन्दा करता। उधर वेश्या अपने दुष्कर्म का पश्चाताप करते हुए सदैव ईश्वर की प्रार्थना में लीन रहती।

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उदार बनो और सेवा करो – स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानन्द सच्चे कर्मयोगी थे। उन्होंने गरीबों के दुःख दूर करने के विशेष प्रयोजन के लिए जन्म लिया था और इसका उन्होंने अन्तिम श्वास तक अनवरत निर्वहन भी किया। वे कहते हैं- ” नर सेवा ही नारायण सेवा है।”

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लंका एवं अध्योध्या के बीच भगवान श्री रामचंद्र जी की अट्ठारह दिन की यात्रा

लंका विजय के बाद रामजी को अयोध्या लौटने में पूरे बीस दिन लगे। यह अवधि अनावश्यक विलंब या अपनी विजय का उत्सव मनाने की नहीं है अपितु रामजी द्वारा पूरे भारतवर्ष और प्रत्येक समाज को समरस बनाने की अवधि है

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चालिस वर्षों से मंचित हो रही है ग्राम तुरमा में रामलीला

जन-जन के हृदय में वास करने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी की अद्भुत लीला के मंचन का इतिहास छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदाबाजार जिले के भाटापारा तहसील के अंतर्गत तुरमा नामक गांव में देखने को मिला, जहां पर रामलीला का मंचन सन 1983-84 से अद्यतन होते आ रहा है।

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