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ऐसे जोगी जो सिर्फ़ संन्यासियों से ही दान लेते हैं

जंगम साधु कुंभ मेले का एक अनिवार्य अंग हैं। उनकी अनूठी परंपराएं, भजन, और वेशभूषा भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की धरोहर हैं। उनका शिव भक्ति में लीन जीवन और समाज को दिया गया अध्यात्मिक संदेश आज भी प्रेरणादायक है। कुंभ मेले में उनकी उपस्थिति इसे और अधिक दिव्य और पवित्र बनाती है।

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जानिए नागा साधुओं के रहस्यमय लोक को

नागा साधु केवल धर्म प्रचारक ही नहीं, बल्कि समाज के रक्षक भी हैं। वे न केवल सनातन परंपराओं की रक्षा करते हैं, बल्कि समाज में धर्म और नैतिकता का प्रचार भी करते हैं। हालांकि, वर्तमान में समाज में कुप्रथाओं और विकृतियों के कारण संत समाज को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

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श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा है हिंदू जागरण का शंखनाद

श्री राम मंदिर निर्माण का संघर्ष और उसकी सफलता हिंदू समाज के लिए एक युगांतकारी घटना है। इसने समाज को जागरूक, संगठित और प्रेरित किया है। वैश्विक पटल पर राम मंदिर ने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को सुदृढ़ किया है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीयता और एकता का प्रतीक भी है।

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आस्था, संस्कृति और आर्थिक विकास का संगम महाकुंभ 2025

हिंदू सनातन संस्कृति के अनुसार कुंभ मेला एक धार्मिक महाआयोजन है जो 12 वर्षों के दौरान चार बार मनाया जाता है। कुंभ मेले का भौगोलिक स्थान भारत में चार स्थानों पर फैला हुआ है और मेला स्थल चार पवित्र नदियों पर स्थित चार तीर्थस्थलों में से एक के बीच घूमता रहता है

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तिल चौथ का महत्व, इतिहास, पौराणिक कथा और विधि

तिल चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल आध्यात्मिक रूप से प्रेरित करता है, बल्कि जीवन में अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा लाने का माध्यम भी है। भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन के संकटों को दूर करने के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है। 

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देवगणों के जागने का पर्व मकर संक्रांति एवं गंगा सागर तीर्थ

राजा भगीरथ ने अपने पितरों का गंगाजल, अक्षत और तिल से श्राद्ध-तर्पण किया था जिससे उनके पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति मिली थी। तब से मकर संक्रांति स्नान, मकर संक्रांति श्राद्ध-तर्पण और दान आदि की परंपरा प्रचलित है।

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