भय से भक्ति तक की दिव्य यात्रा भैरव उपासना
भैरव जयंती भय से भक्ति तक की यात्रा का प्रतीक है। भगवान शिव के काल भैरव रूप की यह जयंती हमें समय, अनुशासन और आत्मबल का संदेश देती है। जानिए इसकी पौराणिक कथाएं, महत्व और आधुनिक संदर्भ।
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Read More7 नवम्बर 1966 को दिल्ली में हुआ गौरक्षा आंदोलन भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा संत आंदोलन था, जिसमें गोलीकांड के बाद गृह मंत्री गुलजारीलाल नंदा ने त्यागपत्र दे दिया था।
Read Moreगुरु नानक देव जी ने भक्ति आंदोलन को आध्यात्मिकता से आगे बढ़ाकर सामाजिक समरसता, नारी सम्मान और भाईचारे का प्रतीक बनाया। उनकी साखियों में मानवता और एकेश्वरवाद का जीवंत संदेश छिपा है, जो आज भी प्रासंगिक है।
Read Moreवैकुंठ चतुर्दशी हरि-हर मिलन का पावन पर्व है, जो विष्णु-शिव एकता, मोक्ष, भक्ति और संतुलन के संदेश के साथ आत्मशुद्धि का मार्ग दिखाता है।
Read Moreभाई दूज का पर्व भाई-बहन के अटूट स्नेह, विश्वास और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और परिवार में प्रेम का उजाला फैलता है।
Read Moreदीपावली केवल उत्सव नहीं, बल्कि रामचरितमानस के उत्तरकांड में वर्णित अयोध्या आगमन की वह आत्मिक यात्रा है, जहाँ धर्म, करुणा और सत्य का आलोक समूचे मानव जीवन को प्रकाशित करता है।
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