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एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता : पंडित दीनदयाल उपाध्याय

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और दर्शन भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे पंडित जी ने अपने जीवन में सामाजिक सेवा और राष्ट्र की एकता के लिए संघर्ष किया

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एकात्म मानव दर्शन : चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक स्वरूप दिया था दीनदयाल जी ने

दीनदयाल उपाध्याय ने “एकात्म मानव दर्शन” के माध्यम से चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि समाज के विकास का आधार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के संतुलन पर होना चाहिए।

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24 सितम्बर 1932 क्राँतिकारी प्रीतिलता का अंग्रेजों से लड़ते हुए बलिदान

प्रीति लता वोददार का जन्म 5 मई 1911 को चटगाँव में हुआ। वे 24 सितंबर 1932 को अंग्रेजों के मनोरंजन क्लब पर बम फेंकने के दौरान घायल हुईं और शहीद हो गईं। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों के प्रति वफादारी की शपथ लेने से इनकार कर दिया, जिसके कारण उनकी डिग्री रोक दी गई।

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सुप्रसिद्ध गौरक्षक और राम जन्मभूमि आँदोलन को जीवन समर्पित करने वाले आचार्य धर्मेंद्र का पुण्य स्मरण

आचार्य धर्मेन्द्र का जीवन केवल राजनीतिक संघर्ष तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज में स्वत्व और सांस्कृतिक गौरव की स्थापना के लिए भी अपना पूरा जीवन समर्पित किया।

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सेल्यूलर जेल में महावीर सिंह का अमर बलिदान और 1933 की भूख हड़ताल

मानसिक दृढ़ संकल्प की कि पुलिस की हजार प्रताड़नाओं के बाद भले प्राण चले जायें पर संकल्प टस से मस न हो। ऐसे ही संकल्पवान क्राँतिकारी थे महावीर सिंह राठौर। जिनसे क्राँतिकारियों का विवरण पूछने के लिये प्रताड़ित किया गया और तब उन्होंने क्राँतिकारियों को प्रताड़ित किये जाने के विरुद्ध अनशन किया फिर भी प्रताड़ना बंद न हुई

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लाहौर षडयंत्र और बलवंत सिंह का अमर बलिदान

जालंधर और उसके आसपास आर्यसमाज भी अपने प्रवचनों से स्वत्व एवं सांस्कृतिक भाव जगा रही थी। ऐसे वातावरण में बलवंत सिंह का बचपन बीता था। इसलिए अंग्रेज द्वारा भारतीयों का दमन करने में सहभागी होना उन्हें स्वीकार नहीं था। उनके एक भाई रंगा सिंह क्राँतिकारी गतिविधियों से जुड़ गये थे। अब यह भाई की प्रेरणा हो उनकी या उनकी अपनी अंतरात्मा की आवाज।

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