हमारे नायक

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा केशव हेडगेवार : विशेष आलेख

1929 में डाॅ हेडगेवार काँग्रेस के लाहौर अधिवेशन में सम्मिलित हुये। इसी अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज्य का संकल्प पारित हुआ था। लाहौर से लौटकर डाॅ हेडगेवार ने सभी स्थानों की यात्रा की और सभी संघ शाखाओं में पूर्ण स्वराज्य का संकल्प पारित कराया। 1930 तक महाराष्ट्र के अधिकांश स्थानों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विस्तार हो गया था।

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मेरा रंग दे बसंती चोला : 23 मार्च शहीद दिवस

क्राँतिकारियों का पूरा जीवन राष्ट्र के स्वत्व, स्वाभिमान और साँस्कृतिक चेतना केलिये समर्पित रहा। जब ये महान क्राँतिकारी बलिदान हुये तब भगतसिंह और सुखदेव की आयु तेइस वर्ष और  राजगुरु की आयु बाईस वर्ष थी। वे इतनी कम आयु में उन्होंने क्राँति का जो उद्घोष किया, उसकी गूँज लंदन तक हुई।

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भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर के रक्षक: हनुमान प्रसाद पोद्दार

किसी भी राष्ट्र और समाज के लिये केवल राजनैतिक स्वतंत्रता ही पर्याप्त नहीं होती। उसकी अपनी एक साँस्कृतिक विरासत होती

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अमर शौर्य और त्याग की गाथा : संभाजी महाराज

क्रूरतम यातनाओं का क्रम सम्भाजी के साथ चला। यह सब कोई 38 दिन चला। उन्हे उल्टा लटका कर पिटाई की गई, आँखे निकालीं गई, चीरा लगाकर नमक लगाया गया, जिव्हा काटी गई। और अंत में एक एक अंग काटकर तुलापुर नदी में फेक दिया गया।

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धर्म रक्षा में बलिदान भाई मणि सिंह जी

बलिदानी भाई मणिसिंह का उल्लेख लगभग सभी सिक्ख ग्रंथों में है। एक अरदास में भी उनका नाम आता है। पर उनके जन्म की तिथि पर मतभेद है। मुगल काल में उन्हें परिवार सहित बंदी बनाया था और मतान्तरण के लिये दबाव डाला गया। वे तैयार नहीं हुये तो पूरे परिवार के एक एक अंग काटकर प्राण लिये गये।

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जंगल सत्याग्रह की नायिका वीरांगना दयावती

यावती ने लगभग 40 महिलाओं के साथ सभा स्थल में प्रवेश किया। महिलाओं का जत्था पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच खड़ा हो गया। पुलिस बल महिलाओं को हटाने बंदूक के संगीनों से धमकाने लगे। इससे दयावती बिफर गई और एक बंदूकधारी पुलिस वाले के सामने खड़ी होकर गोली चलाने के लिए ललकारने लगी।

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