हमारे नायक

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क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौड़ का बलिदान

स्वाधीनता संग्राम में यदि अहिसंक आँदोलन ने पूरे देश में एक जाग्रति का वातावरण बनाया था तो क्राँतिकारी आँदोलन ने अंग्रेजों को सर्वाधिक विचलित किया था। भारत का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ से कोई न कोई नौजवान क्राँतिकारी आँदोलन से न जुड़ा हो। कासगंज के क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौर ऐसे क्राँतिकारी थे जिन्होंने सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी भगतसिंह और दुर्गाभाभी को सुरक्षित लाहौर से निकाला था।

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वीर संभाजी महाराज का बलिदान: धर्म और स्वाभिमान की अद्वितीय मिसाल

छत्रपति संभाजी महाराज भारतीय इतिहास के वे अमर बलिदानी हैं, जिन्होंने औरंगजेब की क्रूर यातनाओं को झेलकर भी धर्म और देश की रक्षा की। उनका जीवन संघर्ष, शौर्य और अटूट संकल्प की मिसाल है। जानिए कैसे उन्होंने 210 युद्ध जीते और अंत तक हिंदवी स्वराज्य के लिए लड़ते हुए अमर बलिदान दिया।

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बलिदान की अमर गाथा: प्रीतिलता वादेदार

सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी प्रीतिलता वादेदार का जन्म 5 मई 1911 को चटगाँव में हुआ था। अब यह क्षेत्र पाकिस्तान में है। उनके पिता नगरपालिका के क्लर्क थे। वे चटगाँव के कन्या विद्यालय की मेधावी छात्रा थीं। उन्होंने सन् 1928 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वे इंटरमीडिएट परीक्षा में पूरे ढाका बोर्ड में पाँचवें स्थान पर आईं।

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जिन्होंने सबसे पहले देखा था नये ओड़िशा राज्य का सपना, आज 28 अप्रैल को उनकी जयंती

स्वराज करुण द्वारा लिखित इस आलेख में मधुसूदन दास के प्रेरणादायक जीवन और उनके ओड़िशा राज्य निर्माण के सपने का उल्लेख किया गया है। पहली बार 1903 में ओड़िशा राज्य की परिकल्पना करने वाले मधुसूदन दास को उत्कलवासियों ने ‘उत्कल गौरव’ की उपाधि दी। उनका जन्म 28 अप्रैल 1848 को हुआ था और आज भी उनके योगदान को सम्मानपूर्वक याद किया जाता है।

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दिल्ली विजय से दोराहा संधि तक वीरता की अमर गाथा

बाजीराव पेशवा जैसी महान विभूतियों का बलिदान है, जिससे आज भारत का स्वत्व प्रतिष्ठित हो रहा है। ऐसे महान यौद्धा का आज 28 अप्रैल को निर्वाण दिवस है। उनका पूरा जीवन युद्ध में बीता।

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स्वतंत्रता के प्रहरी : बाबू कुँअर सिंह

न आयु बाधा बनी। वे भारत की स्वाधीनता के लिए न्यौछावर हो गए। ऐसे ही बलिदानी थे बाबू कुँअर सिंह, जिन्होंने हाथ में बंदूक लेकर अस्सी वर्ष की आयु में क्रांति का मोर्चा संभाला।

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