भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू सकता है

दरअसल किसी भी देश में विदेशी मुद्रा भंडार के अधिक होने के चलते उस देश में विदेशी व्यापार करने का आत्मविश्वास जागता है क्योंकि अन्य देशों से किये गए व्यापार के एवज में विदेशी मुद्रा में भुगतान करने में कोई कठिनाई नहीं होती है। साथ ही, विदेशी निवेशकों में भी विश्वास जागता है कि जिस देश में वे निवेश कर रहे हैं उस देश की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है और उनका उस देश में विदेशी मुद्रा में निवेश किया गया पैसा सुरक्षित है एवं उन्हें उनका निवेश वापिस मिलने में कोई परेशानी नहीं आएगी। विदेशी मुद्रा भंडार उच्च स्तर पर होने से कोई भी विदेशी संस्थान ऋण उपलब्ध कराने में नहीं हिचकता है, क्योंकि उसे भरोसा रहता है कि ऋण का पुनर्भुगतान होने में आसानी रहेगी। विदेशी मुद्रा भंडार के उच्च स्तर पर रहने से उस देश की मुद्रा की कीमत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरने से बचाया जा सकता है।

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दुनिया में तेजी से फैल रहा है सनातन हिंदू धर्म

आज सनातन हिंदू धर्म के प्रति विदेशी लोग आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि सनातन हिंदू धर्म का अपना एक अलग ही महत्व है। सनातन हिंदू धर्म में कुटुंब के प्रति वफादारी बचपन से ही सिखाई जाती है। भारत में आज भी संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलन में हैं, जिससे बच्चे अपने बचपन में ही अपने माता पिता की सेवा करने के संस्कार सीखते हैं और उन्हें पूरे जीवन भर अपने साथ रखने का संकल्प लेते हैं।

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कनाडा में एक भारतीय मूल सिख बिल्डर सहित दो लोगों की हत्या

कनाडा के एडमॉन्टन में भरी दोपहर गोलीबारी में एक भारतीय मूल सिख बिल्डर सहित दो लोगों की हत्या कर दी गई। जबकि, एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है। एडमॉन्टन के पुलिस ने बताया कि घटना सोमवार दोपहर 12 बजे के करीब हुई। गिल बिल्ट होम्स लिमिटेड के मालिक बूटा सिंह गिल निर्माणाधीन अवासीय परियोजना स्थल पर थे।

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इस देश में शहीदों का नामों निशां न होगा….

भारत को स्वतंत्रता आसानी से नहीं मिली है, अंग्रेजों की गुलामी के दो सौ वर्षों में अनगिनत लोगों ने अपने

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इस समय भारत देश के साथ कौन खड़ा है?

चीन की फितरत है धोखे से वार करना, हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाते भारत पर 1962 में आक्रमण कर दिया।

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तीन चीनियों पर हमारा एक जवान भारी पडता है : एक सैनिक की जुबानी

तीन चीनियों पर हमारा एक जवान भारी पडता था। वे धोखे मे हमारी आंखों पर मिर्ची झोंक देते थे लेकिन जिस पर भी मुक्का पडा वो अगले दिन नही दिखता था। हम सब साथी पहले ही अपना लक्ष्य ढूंढ लेते थे कि फलां-फलां को मै देखूंगा और तू अपना देखना।

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