भारतीय कृषि और जैव विविधता संरक्षण का अनूठा संगम : पोला पर्व
पोला पर्व मुख्य रूप से भारत के छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और तेलंगाना राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व
Read Moreपोला पर्व मुख्य रूप से भारत के छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और तेलंगाना राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व
Read Moreगोगा जी को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है, जो सांपों की सुरक्षा और सांपों के प्रति आदरभाव का संदेश देता है। सांप कृषि और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे चूहों और अन्य छोटे जानवरों की आबादी को नियंत्रित रखते हैं। गोगा नवमी के अवसर पर, सांपों की पूजा से उनके महत्व को समझने और उन्हें न मारने की शिक्षा दी जा सकती है, जिससे सांपों की प्रजातियों का संरक्षण होता है।
Read Moreगीता का प्रभाव वैश्विक स्तर पर है और इसे विभिन्न भाषाओं में अनुवादित किया गया है। महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, एल्डस हक्सले, और हेनरी डेविड थोरो जैसे महान व्यक्तियों ने गीता से प्रेरणा ली है। गीता ने जीवन के संघर्षों से जूझने के लिए एक मार्गदर्शन प्रदान किया है और इसे दुनिया भर में एक गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक ग्रंथ के रूप में सम्मानित किया जाता है।
Read Moreरायगढ़ के राजा भूपदेवसिंह के शासनकाल में नगर दरोगा ठाकुर रामचरण सिंह जात्रा से प्रभावित रास के निष्णात कलाकार थे। उन्होंने इस क्षेत्र में रामलीला और रासलीला के विकास के लिए अविस्मरणीय प्रयास किया। गौद, मल्दा, नरियरा और अकलतरा रासलीला के लिए और शिवरीनारायण, किकिरदा, रतनपुर, सारंगढ़ और कवर्धा रामलीला के लिए प्रसिद्ध थे। नरियरा के रासलीला को इतनी प्रसिद्धि मिली कि उसे ‘छत्तीसगढ़ का वृंदावन‘ कहा जाने लगा।
Read Moreकमरछठ पर्व में उपयोग होने वाली सभी वनस्पतियों, जीवों और प्राकृतिक सामग्रियों का संरक्षण और संवर्धन किया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की जैव विविधता संरक्षण की अद्वितीय परंपरा को प्रदर्शित करता है, जिसमें वैज्ञानिकता और धार्मिकता का समन्वय है।
Read Moreसुप्रसिद्ध शहनाई वादक ‘भारत रत्न’ उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ को आज उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र नमन। शहनाई वादन में उनके कला -कौशल को देखकर उन्हें ‘शहनाई का जादूगर ‘भी कहा जा सकता है। उंन्होने बनारस को अपनी कर्मभूमि बनाकर जीवन पर्यन्त माँ गंगा के तट पर शहनाई वादन किया। उनके शहनाई वादन में जादुई सम्मोहन हुआ करता था। श्रोता मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे।
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