लोक-संस्कृति

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स्वर, लय और भाव की दिव्य संगति : भारतीय संगीत

वर्ष 2025 की थीम “Healing Through Harmony” है, जो भावनाओं को शांत करने, तनाव कम करने और वैश्विक स्तर पर समुदायों को एकजुट करने की संगीत की शक्ति को रेखांकित करती है।

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आचार्य अभिनव गुप्त की परंपरा में सनातन भारत का चैतन्य दर्शन

कश्मीर की बर्फीली चोटियों में जितनी स्थिरता है, उतनी ही गहराई वहाँ की दर्शन परंपरा में है। हिमालय की गोद में बसा कश्मीर केवल भौगोलिक सौंदर्य का प्रतीक नहीं, अपितु भारतीय चैतन्य परंपरा का तीर्थ है। इस परंपरा के श्रेष्ठतम प्रतिनिधि हैं – आचार्य अभिनवगुप्त

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विश्व पर्यावरण दिवस और प्रकृति के प्रति हमारा कर्तव्य

यह अभियान भारत में पर्यावरण के लिए जीवन शैली के साथ पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वृक्षारोपण एवं वृक्षों की सुरक्षा करना, पर्यावरण के लिए हानिकारक वस्तुओं का उपयोग कम से कम करना, स्वच्छताअभियान, शिक्षा, जागरूकता अभियान द्वारा अनुकूल जीवन शैली की ओर प्रेरित करने की आवश्यकता है।

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आंचलिक कविताओं का सुन्दर पुष्प -गुच्छ

छत्तीसगढ़ की लोकभाषाओं — हल्बी, भतरी और छत्तीसगढ़ी — में साहित्य साधना करने वाले महर्षि लाला जगदलपुरी का रचना संसार बस्तर अंचल की मिट्टी की महक और जनजीवन की आत्मा से सराबोर है। उनकी कविताओं का नया संकलन “आंचलिक कविताएँ: समग्र” छत्तीसगढ़ की रंग-बिरंगी बोलियों का साहित्यिक उत्सव है। इस संकलन में उनकी कविताओं का हिन्दी अनुवाद भी प्रस्तुत है, जो हल्बी और भतरी भाषाओं की गहराई और संवेदना को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचाता है। लाला जी की कविताएँ न केवल क्षेत्रीय संस्कृति को उजागर करती हैं, बल्कि बोली से भाषा की ओर बढ़ते साहित्यिक विकास की मिसाल भी पेश करती हैं।

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प्राचीन भारत में स्त्री शिक्षा और विदुषियों का योगदान

उपनिषदकालीन ब्रह्मवादिनियाँ आज भी हिंदु समाज के विद्वत वर्ग में श्रद्धा से पूजी जाती हैं। ऋग्वेद में गार्गी, मैत्रेयी, घोषा, विश्ववारा, अपाला, अदिति, शची, लोपामुद्रा, सार्पराज्ञी, वाक्क, श्रद्धा, मेधा, सूर्या, सावित्री जैसी वेद मन्त्रद्रष्टा विदुषियों का उल्लेख मिलता है।

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जीवन के विविध रंग पशु पक्षियों के संग

वन्य प्राणी हमारी प्रकृति में संतुलन रखते हैं , वे हमारे खेतों के भी रक्षक हैं । जो वन्य प्राणी हमारे लिए सहायक है और जो मरकर भी हमारे काम आते हैं उनकी रक्षा करना शासन का ही नहीं हर व्यक्ति का परम कर्तव्य है ।

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