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संतान की दीर्घायु की कामना से मनाये जाने वाला लोकपर्व अहोई अष्टमी

अहोई आठें विशेष रूप से संतान की सुरक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और उनकी समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं निर्जल उपवास रखती हैं और रात को तारों के दर्शन कर या चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत पूर्ण करती हैं।

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भारत का प्रमुख सांस्कृतिक और सामाजिक त्योहार करवा चौथ

मध्यकालीन समय में, जब समाज में युद्ध और संघर्ष सामान्य थे, करवा चौथ व्रत का महत्व और भी बढ़ गया। युद्ध पर जाने वाले सैनिकों की पत्नियाँ, अपने पतियों की सुरक्षा और कुशलता के लिए यह व्रत रखती थीं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के माध्यम से वे अपने पतियों की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करती थीं।

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आध्यात्मिकता और प्रकृति सौंदर्य का उत्सव शरद पूर्णिमा

भारतीय संस्कृति मे शरद ॠतु का महत्व यहाँ के जन जीवन में स्पष्ट रुप से परिलक्षित होता है। वर्षा के बीतने के पश्चात दशहरे एवं दीवाली का त्यौहार मनुष्य के जीवन में नव उल्लास एवं नव संचार लेकर आता है, जो जीवन क्षमता में वृद्धि करता है, क्योंकि प्रकृति उल्लास एवं उमंग का ही पर्याय है। प्रकृति हमें सह अस्तित्व के साथ जीना सिखाती है और वसुधा, वसुंधरा होकर चराचर जगत के जीवों के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देती है।

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भारत में विविध परंपराओं का संगम दशहरा पर्व

दशहरा हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। आश्विन मास (कुंवार मास) की शुक्लपक्ष की दसमीं तिथि को मनाया जाता है। यह

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दशहरे की अनूठी परंपराएँ बस्तर से लेकर कुल्लू तक

भारत में विजयादशमी का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है, इसे किसी न किसी रुप में उत्सवपूर्वक मनाया जाता

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मालवा और निमाड़ का प्रमुख उत्सव संजा

उत्सवों का मानव जीवन से आदिकाल से गहरा नाता रहा है। यह केवल सामूहिक उल्लास और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम

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