धर्म-अध्यात्म

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देवगणों के जागने का पर्व मकर संक्रांति एवं गंगा सागर तीर्थ

राजा भगीरथ ने अपने पितरों का गंगाजल, अक्षत और तिल से श्राद्ध-तर्पण किया था जिससे उनके पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति मिली थी। तब से मकर संक्रांति स्नान, मकर संक्रांति श्राद्ध-तर्पण और दान आदि की परंपरा प्रचलित है।

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पौष पूर्णिमा को 1.6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया

आज महाकुंभ का शुभारंभ प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर हुआ। संगम तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। लगभग 1.6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने इस दिन पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान किया।

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राम कृपा बिनु सुलभ न सोई

राम मंदिर के उद्घाटन के साथ, अयोध्या एक वैश्विक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह न केवल भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के केंद्र के रूप में भी पहचाना जाएगा। यह मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था, संघर्ष और प्रतीक्षा का सजीव उदाहरण है।

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सोमवती अमावस्या का महत्व और परंपरा

सोमवती अमावस्या की कथाएँ इस बात को रेखांकित करती हैं कि यह दिन श्रद्धा, सेवा, दान और पितृ पूजा के माध्यम से जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का अवसर प्रदान करता है।

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पृथ्वी पर सनातन संस्कृति का महाकुंभ प्रयागराज में

कुंभ मेला सनातन परंपरा की सर्वोच्च तीर्थ यात्रा करते लोग नदियों में स्नान कर ज्ञान की पिपासा लिए संत समागम करते हैं। मोक्ष की आस लिए सर्वस्व दान करते हैं, जहां चहुंओर मंत्रोच्चार अनहद नाद ध्वनित होते हुए महसूस होता है। ऐसे सुंदरतम दृश्य को निहारने अपार जनसमूह आ जुटता है कुंभ के मेला में…!

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प्रयागराज कुंभ मेले का इतिहास, महत्व एवं महत्वपूर्ण स्नान तिथियाँ

कुंभ मेला मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है। साधु-संतों द्वारा दी गई शिक्षाएं और प्रवचन आत्मा की शुद्धि में सहायक होते हैं। यह मेला भारत की विविध संस्कृतियों और परंपराओं का संगम है।

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