धर्म-अध्यात्म

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सीय राममय सब जग जानी : सीता जयंती विशेष

माता सीता का जन्म मिथिला (वर्तमान में नेपाल) के राजा जनक के घर में हुआ था, इसलिए उन्हें ‘जानकी’ कहा जाता है। वे माता पृथ्वी की कन्या मानी जाती हैं, जिन्हें राजा जनक ने यज्ञ भूमि से प्राप्त किया था।

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सभ्यता के अदृश्य निर्माता भारतीय शिल्पकार: विश्वकर्मा जयंती विशेष

मानव सभ्यता के विकास का जहाँ भी वर्णन होता है वहां स्वत: ही तकनीकि रुप से दक्ष परम्परागत शिल्पकारों के

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तीर्थ श्रेष्ठ नर्मदा का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व : नर्मदा जयंती विशेष

नर्मदा नदी को ‘जीवित नदी’ के रूप में पूजा जाता है और इसे मातृ रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इस नदी के तट पर अनेक धार्मिक स्थल स्थित हैं, जैसे ओंकारेश्वर, महेश्वर, अमरकंटक, मांडू, और होशंगाबाद। ओंकारेश्वर में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ाता है।

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तीन नदियों के संगम और आध्यात्मिक धरोहर का केंद्र सांकरदाहरा

सांकरदाहरा में शिवनाथ नदी के संगम के साथ डालाकस और कुर्रू नाला नदियां मिलती हैं। यहां नदी तीन धाराओं में बंट जाती है और फिर सांकरदाहरा के नीचे आपस में मिलती हैं। इस संगम पर स्थित मंदिर और नदी तट पर बनी भगवान शंकर की 32 फीट ऊंची विशालकाय मूर्ति हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर का रमणीय दृश्य और नौका विहार की सुविधा इस स्थल को और भी खास बनाती है।

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इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के लिए मौन रहकर तपस्या की

मौनी अमावस्या का महत्व केवल धार्मिक और आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है। यह दिन अमावस्या का दिन होता है, जब चंद्रमा और सूर्य एक ही राशि में होते हैं। इस खगोलीय घटना का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है और नदियों तथा समुद्र में ज्वार-भाटे उत्पन्न होते हैं।

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futuredधर्म-अध्यात्मलोक-संस्कृति

सामाजिक समरसता और भारतीय सांस्कृतिक एकता का महोत्सव महाकुंभ

भारत के इतिहास में जहाँ तक दृष्टि जाती है कुंभ के आयोजन का संदर्भ मिलता है। मौर्यकाल में भी और शुंग काल में भी। गुप्तकाल में तो कुंभ का बहुत विस्तार से वर्णन मिलता है। गुप्तकाल के इस विवरण में ग्रहों की स्थिति के अनुसार कुंभ के आयोजन का उल्लेख है।

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