धर्म-अध्यात्म

futuredधर्म-अध्यात्म

आज की दुनिया के लिए शांति और संतुलन का रास्ता : महावीर स्वामी का दर्शन

महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, एक महान आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक थे, जिनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही सार्थक और प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय थीं, जब उन्होंने इन्हें समाज के समक्ष रखा।

Read More
futuredधर्म-अध्यात्म

राम से बड़ा राम का नाम : संदर्भ छत्तीसगढ़

समूचा छत्तीसगढ़वासी रामनवमीं को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस दिन शुभ लग्न मानकर सभी शुभकार्य करते हैं। शादियां और गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य सम्पन्न होते हैं। छत्तीसगढ़ के रामरमिहा लोग अपने पूरे शरीर में राम नाम गुदवाकर श्रीराम नाम की पूजा-अर्चना करते हैं। वे निर्गुण राम को मानते हैं। उनका कहना है के राम से बड़ा राम का नाम है।

Read More
futuredधर्म-अध्यात्म

ननिहाल छत्तीसगढ़ में राम तत्व

भारत के मानचित्र में हृदय स्थल पर छत्तीसगढ़ प्रदेश स्थित है। लोक मान्यता है कि यहाँ भगवान राम ने वनवास काल के चौदह वर्षों में से दस वर्ष बिताए। यह एक ऐसा स्थान है कि जहाँ का वातावरण आपको राममय दिखाई देता है। सारा अंचल राम नाम से ओतप्रोत है। भगवान राम भी यहाँ आए और यहीं के होकर रह गए। ऐसे रचे बसे कि यहाँ की संस्कृति के रोम-रोम में समा गए। कण कण में राम तत्व समाहित हो गया। 

Read More
futuredधर्म-अध्यात्म

लोक देवियाँ और छत्तीसगढ़ की शाक्त परम्परा

छत्तीसगढ़ में शक्ति की उपासना प्रमुख रुप से की जाती है क्योंकि यहाँ का जनमानस इस बात को जानता है कि शक्ति के बिना सृष्टि की उत्पत्ति और विकास तथा सृष्टि के विनाश तक की कल्पना नहीं की जा सकती है। शाक्त परम्परा से संबंधित प्रमाण हमें यहां की मृण्यमयी मूर्तिकला, शिल्प, साहित्य, संस्कृति और जीवन शैली में सहज ही देखे जा सकते हैं।

Read More
futuredधर्म-अध्यात्म

सूर्योपासना और छठी मैया की आराधना का पावन पर्व : चैती छठ

चैती छठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और प्रकृति के प्रति सम्मान का पर्व है। इसकी पौराणिक कथाएँ बताती हैं कि यह व्रत सूर्य देव और छठी मैया की कृपा पाने का एक माध्यम है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

Read More
futuredधर्म-अध्यात्म

भारतीय नव वर्ष का धार्मिक सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक महत्व

भारत में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का प्रारंभ माना जाता है। चैत्र मास सामान्यतः मार्च-अप्रैल के महीने में आता है, और इस समय देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है

Read More