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मनुष्य के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को राह दिखाने वाली पुस्तक : बोल -बत्तीसा

स्वराज करुण 
(ब्लॉगर एवं पत्रकार )

मनुष्य का जीवन उसके विचारों और बोलने -चालने की शैली से ही संवरता और बिगड़ता है. विचार अगर अच्छे हों, जिनमें सबके कल्याण की चाहत हो, बोलने के लहजे में विनम्रता और शालीनता हो, तो उसका जीवन संवर जाता है, वहीं उसके विचार अगर दूषित हों, वाणी में मिठास ना हो तो लोक व्यवहार में उसका जीवन बिगड़ने में देर नहीं लगती.इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर (जिला -बस्तर )निवासी साहित्यकार विनय कुमार श्रीवास्तव ने मनुष्य के व्यक्तिगत और सामाजिक -जीवन को राह दिखाने वाली पुस्तक ‘बोल -बत्तीसा ‘ की रचना की है.वे सिविल इंजीनियर हैं.उनके कीर्तिशेष पिता केशव लाल श्रीवास्तव और बड़े पिताजी कीर्तिशेष लाला जगदलपुरी बस्तर अंचल के प्रतिष्ठित साहित्यकार थे. इस प्रकार विनय जी को साहित्यिक अभिरूचि और लेखन प्रतिभा विरासत में मिली है.

उनकी पुस्तक ‘बोल -बत्तीसा’ में उनके स्वयं के दोहों और मुक्तकों सहित अन्य कवियों की काव्य पंक्तियों का भी समावेश है. ये छोटी -छोटी रचनाएँ ‘गागर में सागर’ जैसी हैं. पुस्तक के मुख पृष्ठ में यह बताने का प्रयास किया गया है कि मानव जीवन में क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए.

इस किताब के अलावा विनय कुमार श्रीवास्तव के सम्पादन में चार और किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें लाला जगदलपुरी की लघु कविताओं, क्षणिकओं, मुक्तकों और दोहों का संकलन ‘बूँद-बूँद सागर’, लाला जी की हलबी, भतरी और छत्तीसगढ़ी कविताओं का संकलन ‘आँचलिक कविताएँ :समग्र, लाला जी की बाल -कविताओं का संकलन ‘बाबा की भेंट ‘ और लाला जी की ही कविताओं का संकलन ‘बिखरे मोती’ शामिल है.

विनय कुमार श्रीवास्तव की पुस्तक ‘बोल -बत्तीसा’ 116 पेज की है और तीन खण्डों में है. प्रथम खण्ड ‘बोल -बत्तीसा’ और ‘जिव्हा आरती’ का है. दूसरे खण्ड में विभिन्न विषयों पर दोहों, मुक्तकों और कुछ कविताओं की प्रस्तुतियाँ हैं और तीसरे खण्ड में ‘वाणी ‘पर संत कबीर, तुलसीदास, रहीम और लाला जगदलपुरी जैसे महान कवियों सहित कुछ अन्य कवियों की काव्य -पंक्तियाँ भी संकलित हैं प्रथम खण्ड में ‘बोल -बत्तीसा’ के अंतर्गत 32 दोहों में यह बताया गया है कि इंसान बोलते समय किन बातों का ध्यान रखे. जैसे –

*बोली -बोली प्रिय लगे, बोली उपजै ताप
बोली ऐसी बोलिए, बोली हरे संताप.
बोलो जय सियाराम,जय-जय सियाराम.*
या
*जान -समझकर बोलिए, बचा रहे स्वमान
बोली जग की बावरी, ख़ूब घटाती मान
बोलो जय सियाराम, जय-जय सियाराम.*

रचनाकार ने अपनी कुछ काव्य -पंक्तियों में वर्तमान समाज में व्याप्त समस्याओं को भी ध्यान में रखा है. जैसे –
*बोल -बोल के मशीनें, ख़ूब मचाती शोर,
जन -जीवन से गई शांति, प्रदूषण बढ़ा घनघोर.*

इसी तरह एक अन्य दोहे को देखिए –
*रेडियो-टीवी -मोबाइल बोलते,
नहीं किसी को चैन
कुछ भी सारे बोलते,
बोल रहे दिन -रैन.*

हर दोहे के अंत में रचनाकार’बोलो जय सियाराम, जय -जय सियाराम’ लिखना नहीं भूले हैं. शायद वह मनुष्य को नैतिकता की नसीहत देने वाले इन दोहों के जरिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के प्रेरणादायक जीवन की याद दिलाना चाहते हैं. वैसे रचनाकार ने ‘लेखकीय कलम से ‘ के अंतर्गत संकलन पर अपनी बात रखते हुए लिखा है –

“बत्तीस पौष्टिक जड़ी-बूटियों और मेवों के मिश्रण से तैयार किया जाने वाला ‘बत्तीसा’ (लड्डू) प्रसूता के उत्तम स्वास्थ्य के लिए उसे खिलाया जाता है. मेरा विश्वास है कि इस पुस्तक में बत्तीस दोहों और मुक्तकों के संयोजन से तैयार ‘बोल -बत्तीसा’ पाठकों के ह्रदय तक पहुँचेगा. इसके अतिरिक्त बोलने से संबंधित विभिन्न विषयों पर मैंने इस पुस्तक में सरल-सुगम दोहों, मुक्तकों और कुछ कविताओं के माध्यम से शोधात्मक प्रस्तुति दी है. एकरसता को दूर करने के लिए कुछ स्थानों पर हास्य का पुट भी है. ”

लेखक चूँकि बस्तर अंचल के निवासी हैं, इसलिए उन्होंने पुस्तक के खण्ड -दो में बस्तर संभाग की विशेषताओं को भी ‘बस्तर बोले’ शीर्षक से रेखांकित किया है.पुस्तक पर साहित्यकारों और प्रबुद्ध जनों के महत्वपूर्ण अभिमत भी शामिल किए गए हैं. .वरिष्ठ साहित्यकार त्रिलोक महावर ने इसे लोक -व्यवहार को रेखांकित करती प्रस्तुति बताते हुए लिखा है कि पेशे से इंजीनियर लेकिन हृदय से कवि विनय ने अदभुत कार्य किया है. वहीं वरिष्ठ कवि विजय सिंह लिखते हैं कि ‘बोल -बत्तीसा’का प्रकाशन सुखद है. विनय श्रीवास्तव ने लोक -व्यवहार की प्रतिष्ठा को दोहों, मुक्तक और कविताओं के माध्यम से सामने लाया है.

त्रिलोक महावर और विजय सिंह के अलावा पुस्तक में सनत कुमार जैन, डॉ. शोभा श्रीवास्तव, कल्पना श्रीवास्तव, विभा वर्मा, विकास कुमार श्रीवास्तव, डॉ. आभा श्रीवास्तव और अभय श्रीवास्तव की भावनाओं को भी प्रकाशित किया गया है.यह पुस्तक 200 रूपए की है. इसे नई दिल्ली के लिटिल बर्ड पब्लिकेशन्स ने प्रकाशित किया गया है.

समीक्षक वरिष्ठ पत्रकार एवं ब्लॉगर हैं।

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