बिलासपुर में वृक्ष रक्षाबंधन महोत्सव के 25वें वर्ष का भव्य आयोजन, वृक्षों की सुरक्षा का लिया संकल्प
बिलासपुर। रक्षाबंधन के पावन पर्व पर पर्यावरण एवं पर्यटन विकास समिति बिलासपुर द्वारा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वृक्ष रक्षाबंधन महोत्सव का 25वां वर्ष स्थानीय विवेकानंद उद्यान में धूमधाम से संपन्न हुआ। यह आयोजन पिछले 24 वर्षों से लगातार रक्षाबंधन के दिन वृक्षों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेने की परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत भाषण से हुई, जिसमें समिति के अध्यक्ष डॉ. विवेक तिवारी ने कहा कि यह आयोजन अब आम नागरिकों के उत्साह से महोत्सव का रूप ले चुका है। वृक्षों को राखी बांधना न केवल प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का मजबूत संदेश भी देता है।
इस अवसर पर डॉ. विनय कुमार पाठक (माननीय कुलपति, थावे विद्यापीठ गोपालगंज, बिहार एवं पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग) मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. राघवेन्द्र कुमार दुबे ने की, जबकि विशेष अतिथि के रूप में महेंद्र जैन वन्देमातरम प्रमुख, वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु तिवारी, रमेश चंद्र श्रीवास्तव एवं पर्यावरणविद् अनिल तिवारी उपस्थित रहे।
प्रारंभ में वरिष्ठ कवि सनत तिवारी, गीतकार राम निहोरा राजपूत और राजेश सोनार ने पर्यावरण गीत प्रस्तुत किया।
मुख्य अतिथि डॉ. पाठक ने कहा— “वृक्षों से वन हैं और वन से ही जीवन है। वृक्ष संपूर्ण सृष्टि के लिए जीवनदायी बंधु की तरह हैं, उनकी रक्षा हमारी जीवन रक्षा है।” अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. दुबे ने बच्चों में पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने के इस प्रयास को सराहनीय बताया।
विशेष अतिथियों ने भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता को समय की जरूरत बताया और पौधरोपण के साथ उसकी सुरक्षा पर जोर दिया। इस दौरान डॉ. मंतराम यादव, स्मृति जैन और डॉ. सुधाकर बी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का संचालन सचिव बालगोविंद अग्रवाल ने किया और आभार शीतल प्रसाद पाटनवार ने व्यक्त किया।
अंत में पर्यावरण विषयक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसका संचालन अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर ने किया। गोष्ठी में डॉ. बृजेश सिंह, ध्रुव देवांगन, शत्रुघ्न जैसवानी, हरीश मगर, अशर्फीलाल सोनी, जयप्रकाश लाल, गिरीश बाजपई, महेंद्र पटनायक, नवीन दुबे, आशीष श्रीवास सहित अनेक कवियों ने रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में गणमान्य नागरिकगण बड़ी संख्या में मौजूद थे।