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भारत में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का नया माध्यम तीर्थाटन

प्रहलाद सबनानी

भारत में पर्यटन उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए कई वर्षों से लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं, परंतु इस क्षेत्र में वृद्धि दर कम ही रही है। क्योंकि भारत में पर्यटन का दायरा केवल ताजमहल, कश्मीर एवं गोवा आदि स्थलों तक ही सीमित रहा है। परंतु हाल के वर्षों में धार्मिक क्षेत्रों — यथा अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, उज्जैन, हरिद्वार, उत्तराखंड में चार धाम (केदारधाम, बद्रीधाम, गंगोत्री एवं यमुनोत्री), माता वैष्णो देवी एवं दक्षिण भारत स्थित विभिन्न मंदिरों सहित — बौद्ध धर्म, जैन धर्म एवं सिख धर्म के कई पूजा स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं का विस्तार कर, इन्हें आपस में जोड़कर पर्यटन सर्किट विकसित किए गए हैं। इससे भारत में धार्मिक पर्यटन बहुत तेज गति से आगे बढ़ा है।

विभिन्न देशों से भी अब पर्यटक इन नए विकसित धार्मिक स्थलों पर भारी मात्रा में पहुंच रहे हैं। योग एवं आयुर्वेद भी हाल के समय में विदेशों में काफी लोकप्रिय हो गए हैं। अतः इसकी खोज के लिए विदेशों से कई पर्यटक भारत में धार्मिक पर्यटन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे विदेशी पर्यटन में भी देश में तेजी से वृद्धि दर्ज हो रही है।

हाल के समय में भारत के नागरिकों में “स्व” का भाव विकसित होने के चलते देश में धार्मिक पर्यटन तेज़ी से बढ़ा है। अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में श्रीराम लला के विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात, प्रतिदिन औसतन 2 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में सम्पन्न हुए प्रभु श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद स्थानीय कारोबारी अपना उज्ज्वल भविष्य देख रहे हैं। अयोध्या धार्मिक पर्यटन का हब बनने जा रहा है तथा अब अयोध्या दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा। जेफरीज के अनुसार, अयोध्या में प्रति वर्ष 5 करोड़ से अधिक पर्यटक आ सकते हैं।

यह तो केवल अयोध्या की कहानी है। इसके साथ ही तिरुपति बालाजी, काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक, जम्मू स्थित वैष्णो देवी मंदिर, उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री जैसे कई मंदिरों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। भारत में धार्मिक पर्यटन में आई इस जबरदस्त तेजी के कारण लाखों नए रोजगार के अवसर निर्मित हो रहे हैं, जो देश के आर्थिक विकास को गति देने में सहायक हो रहे हैं।

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विश्व के कई अन्य देश भी धार्मिक पर्यटन के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्थाएं सफलतापूर्वक मजबूत कर रहे हैं। सऊदी अरब धार्मिक पर्यटन से प्रति वर्ष 22,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर अर्जित करता है तथा इस आय को भविष्य में 35,000 करोड़ डॉलर तक ले जाना चाहता है। मक्का में प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोग पहुंचते हैं, जबकि वहां गैर-मुस्लिमों के लिए पाबंदी है। इसी प्रकार, वेटिकन सिटी में प्रतिवर्ष 90 लाख लोग पहुंचते हैं, जिससे उसे लगभग 32 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय होती है। अकेले मक्का को 12,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आमदनी होती है।

अयोध्या में तो किसी भी धर्म, मत या पंथ मानने वाले नागरिकों पर कोई पाबंदी नहीं है। अतः अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या 5 से 10 करोड़ प्रतिवर्ष तक पहुंच सकती है। एक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक पर्यटक लगभग 6 लोगों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। इस गणना के अनुसार, अयोध्या में लाखों नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होने जा रहे हैं। अयोध्या के आसपास विकास का एक नया युग प्रारंभ हो चुका है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अब अयोध्या के रूप में वेटिकन और मक्का का विकल्प भारत में खड़ा हो रहा है।

धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने भी धरातल पर कई कार्य संपन्न किए हैं। अब इसके अंतर्गत रामायण सर्किट रूट विकसित किया जा रहा है, जिस पर विशेष रेलगाड़ियाँ भी चलाई जाएंगी। यह रेलगाड़ी 18 दिनों में 8000 किलोमीटर की यात्रा पूरी करेगी, जिसमें 18 स्टॉप होंगे। यह रूट प्रभु श्रीराम से जुड़े ऐतिहासिक नगरों — अयोध्या, चित्रकूट और छत्तीसगढ़ — को जोड़ेगा। अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर इस मार्ग को वैश्विक पहचान दिलाएगा।

इसके पूर्व केंद्र सरकार ने देश के 12 शहरों को “हृदय योजना” के अंतर्गत भारत के विरासत शहरों के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। ये शहर हैं: अमृतसर, द्वारका, गया, कामाख्या, कांचीपुरम, केदारनाथ, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेल्लांकनी, अमरावती एवं अजमेर। इस योजना के अंतर्गत इन शहरों का सौंदर्यीकरण कर, पुरानी विरासत को पुनर्जीवित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 15 धार्मिक सर्किट भी विकसित किए जा रहे हैं।

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इन प्रयासों के चलते अब भारतीय पर्यटन उद्योग तेज़ गति से आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है। वर्ष 2024 में भारतीय पर्यटन उद्योग का आकार 2,247 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुँच चुका है, और 2033 तक इसके 3,812 करोड़ डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। अनुमान है कि 2034 तक यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 43.25 लाख करोड़ रुपये का योगदान देगा।

देश के हवाईअड्डों पर भीड़ सामान्य हो गई है। हेरिटेज स्थलों पर विदेशी पर्यटकों की भीड़ बढ़ रही है। मध्यम वर्गीय परिवारों की संख्या और उनकी डिस्पोजेबल आय में वृद्धि के कारण अब भारतीय भी देश के भीतर पर्यटन को प्राथमिकता देने लगे हैं।

देश के पर्यटन स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं का विस्तार किया गया है। होटल उद्योग ने नए निर्माण के माध्यम से कमरों की संख्या बढ़ाई है। रेल, हवाई और सड़क यातायात को आधुनिक और सुगम बनाया गया है। इससे पर्यटकों को घर से बाहर भी घर जैसा आराम मिलने लगा है। परिणामस्वरूप भारतीय परिवार वर्ष में कम से कम एक बार पर्यटन के लिए निकलने लगे हैं।

वर्ष 2023 में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में 124 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 1.92 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आए, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है। विदेशी मुद्रा आय 15.6 प्रतिशत बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रुपये हो गई। गोवा, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भारी वृद्धि दर्ज की गई है।

वर्ष 2023 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में लगभग 66 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे — यह विश्व रिकॉर्ड है। भारत में यात्रा एवं पर्यटन उद्योग लगभग 8 करोड़ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार दे रहा है, जो कुल रोजगार में 12 प्रतिशत की भागीदारी रखता है।

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देश में धार्मिक पर्यटन की हिस्सेदारी कुल पर्यटन में 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है। वर्तमान में भारत का पर्यटन उद्योग 19 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित कर रहा है, जबकि वैश्विक औसत केवल 5 प्रतिशत है। भारत के पर्यटन में 87 प्रतिशत हिस्सेदारी देशी पर्यटन की और मात्र 13 प्रतिशत हिस्सेदारी विदेशी पर्यटन की है।

इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार, धार्मिक स्थलों को विकसित कर रही हैं ताकि रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकें। पर्यटन उद्योग में कई आर्थिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं — जैसे अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा प्रबंधन, होटल सेवा, कारीगर, कलाकार, टूर ऑपरेटर आदि सभी को इससे लाभ मिलता है।

यह हमारा नागरिक कर्तव्य भी है कि हम भी पर्यटन को बढ़ावा देने में योगदान करें। प्रत्येक नागरिक वर्ष में कम से कम दो देशी पर्यटन स्थलों की यात्रा करे। विदेशी पर्यटकों का गर्मजोशी से स्वागत करें ताकि वे भारत लौटकर उसकी प्रशंसा करें। करोड़ों भारतीय विदेशों में रहते हैं। यदि हर प्रवासी भारतीय साल में कम से कम 5 विदेशी नागरिकों को भारत भ्रमण के लिए प्रेरित करे तो विदेशी पर्यटकों की संख्या एक वर्ष में दुगनी की जा सकती है।