पहलगाम हमले का जिक्र नहीं, राजनाथ सिंह ने SCO बैठक में साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंतिम साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। भारत की यह सख्त प्रतिक्रिया उस वक्त आई जब सम्मेलन के मसौदा दस्तावेज़ में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (22 अप्रैल) का कोई ज़िक्र नहीं किया गया, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।
भारत सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, दस्तावेज़ में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मार्च में हुई जाफर एक्सप्रेस ट्रेन की हाईजैकिंग का उल्लेख किया गया, लेकिन भारत में हुए बड़े आतंकी हमले की पूरी तरह अनदेखी की गई। इसी वजह से भारत ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार करते हुए इसे आतंकवाद पर दोहरे मापदंड का उदाहरण बताया।
राजनाथ सिंह ने SCO मंच पर आतंकवाद को लेकर दी कड़ी चेतावनी
“शांति और समृद्धि का सहअस्तित्व आतंकवाद और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के साथ नहीं हो सकता। इन खतरों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।”
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए कहा, “कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं। ऐसे दोहरे रवैये वाले देशों की आलोचना करने से SCO को पीछे नहीं हटना चाहिए।”
उन्होंने बताया कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया, जो आतंकवाद के खिलाफ देश की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया और इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया रूप है।
SCO चार्टर की मूल भावना का किया समर्थन
राजनाथ सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद किसी भी परिस्थिति में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता और SCO सदस्य देशों को इसे बिना किसी शर्त के स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषकों, योजनाकारों और समर्थकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने युवाओं में बढ़ती कट्टरता और चरमपंथ को रोकने के लिए भी ठोस कदम उठाने की जरूरत बताई और कहा कि SCO की RATS प्रणाली (क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना) इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकती है।
गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियों पर भी जताई चिंता
राजनाथ सिंह ने बैठक में साइबर हमलों, ड्रोन के ज़रिए हथियार और नशे की तस्करी, हाइब्रिड वॉरफेयर, महामारी, जलवायु परिवर्तन और खाद्य-सुरक्षा जैसे मुद्दों को भी गंभीर खतरे बताया। उन्होंने कहा कि इन खतरों से निपटने के लिए पारदर्शिता, विश्वास और सहयोग की ज़रूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत मध्य एशिया के देशों से संपर्क बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और इससे न केवल व्यापार, बल्कि परस्पर विश्वास भी मज़बूत होता है। हालांकि उन्होंने जोर दिया कि इस प्रक्रिया में सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।
भारत की अफगान नीति पर दोहराई प्रतिबद्धता
अफगानिस्तान को लेकर भारत की नीति पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत वहां की जनता के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को लागू कर रहा है और क्षेत्र में स्थायित्व, शांति और सुरक्षा के लिए लगातार प्रयासरत है।
SCO की स्थापना 2001 में हुई थी और भारत 2017 में इसका पूर्ण सदस्य बना था। वर्ष 2023 में भारत ने इसका अध्यक्ष पद संभाला था, जबकि 2025 के लिए चीन इस पद को संभाल रहा है।