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भारत ने रोकी सिंधु जल संधि के तहत विवाद निपटारे की प्रक्रिया, विश्व बैंक के तटस्थ विशेषज्ञ से कार्य रोकने का आग्रह

भारत सरकार ने सिंधु जल संधि (IWT) को फिलहाल निलंबित रखने के अपने निर्णय के बाद, विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ मिशेल लीनो को पत्र लिखकर रतले और किशनगंगा जलविद्युत परियोजनाओं पर चल रही सुनवाई को रोकने का आग्रह किया है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है।

मिशेल लीनो, जो फ्रांस के एक वरिष्ठ बांध इंजीनियर हैं और पहले अंतरराष्ट्रीय बड़े बांध आयोग (ICOLD) के अध्यक्ष रह चुके हैं, को विश्व बैंक ने अक्टूबर 2022 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के तहत उत्पन्न तकनीकी विवादों को सुलझाने के लिए नियुक्त किया था। उनका कार्य है यह तय करना कि क्या ये परियोजनाएं संधि के प्रावधानों के अनुरूप हैं।

भारत की ओर से भेजे गए अनुरोध पर लीनो ने पाकिस्तान से भी प्रतिक्रिया मांगी है, जिसे इस्लामाबाद ने खारिज कर दिया है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत इन परियोजनाओं के डिजाइन में जल के न्यूनतम प्रवाह से संबंधित शर्तों का उल्लंघन कर रहा है।

केंद्र सरकार ने अप्रैल 2024 में पाकिस्तान को औपचारिक रूप से सूचित किया था कि जब तक वह आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह से और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि को स्थगित रखा जाएगा। इसी निर्णय के तहत भारत ने तटस्थ विशेषज्ञ को पत्र भेजकर दोनों पक्षों के बीच सहमति से बनी कार्ययोजना को निरस्त करने की मांग की है।

यह कार्ययोजना 2025 के लिए तैयार की गई थी, जिसके अनुसार पाकिस्तान को 7 अगस्त तक अपना लिखित जवाब (काउंटर मेमोरियल) जमा करना था। नवंबर में एक और बैठक प्रस्तावित थी जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों अपने-अपने तर्कों को प्रस्तुत करते। इसके बाद दिसंबर में परियोजनाओं की दूसरी साइट विज़िट भी संभावित थी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने वर्तमान में पाकिस्तान के साथ इस मुद्दे पर किसी भी तरह की बातचीत से दूरी बना ली है। पाकिस्तान ने हालांकि भारत को मई में वार्ता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन भारत की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।

इस बीच, भारत सरकार ने सिंधु नदी प्रणाली से जल को अपने राज्यों की ओर मोड़ने के लिए एक नहर परियोजना की योजना तैयार की है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर स्थित बगलिहार और सलाल परियोजनाओं में पहली बार गाद निकालने (फ्लशिंग) की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह प्रक्रिया पहले पाकिस्तान के विरोध के कारण रोकी जाती रही थी।

अब भारत इस प्रक्रिया को नियमित रूप से हर महीने करने की तैयारी कर रहा है, जिससे विद्युत उत्पादन को बाधित करने वाली गाद हटाई जा सके। इसके अलावा सरकार चिनाब नदी पर चार जलविद्युत परियोजनाओं – पकल डुल (1,000 मेगावॉट), रतले (850 मेगावॉट), किरू (624 मेगावॉट) और क्वार (540 मेगावॉट) – को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर काम कर रही है।

इनमें पकल डुल जम्मू-कश्मीर में बनने वाली पहली भंडारण आधारित परियोजना है, जो भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।