मोदी ने ट्रंप से कहा: भारत-पाक संघर्ष विराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार देर रात अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए चार दिवसीय सैन्य संघर्ष के बाद जो संघर्षविराम हुआ, वह दोनों देशों की सेनाओं के बीच प्रत्यक्ष संवाद से हुआ था — न कि किसी अमेरिकी मध्यस्थता से।
मोदी और ट्रंप के बीच यह बातचीत कनाडा में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के इतर हुई, जहां प्रधानमंत्री मोदी अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। यह दोनों नेताओं के बीच मई 7 से 10 के बीच हुई झड़पों के बाद पहली सीधी बातचीत थी।
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि संघर्षविराम के समय न तो भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कोई चर्चा हुई थी, न ही अमेरिका की किसी भी तरह की मध्यस्थता पर।”
उन्होंने यह भी बताया कि संघर्ष रोकने की प्रक्रिया भारत और पाकिस्तान के बीच सेना के मौजूदा सैन्य संचार चैनलों के ज़रिए हुई थी और इसकी पहल पाकिस्तान की ओर से की गई थी।
अमेरिकी दावे को भारत का खंडन
डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को तनाव कम करने और व्यापार पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी, जिसके बाद दोनों देशों में संघर्षविराम हुआ। भारत ने इस दावे को शुरू से ही खारिज किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत ने अतीत में भी कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया और भविष्य में भी ऐसा नहीं करेगा।
कश्मीर हमला और जवाबी कार्रवाई
गौरतलब है कि यह सैन्य टकराव 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी — जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया था, हालांकि पाकिस्तान ने इस आरोप को नकारा।
इसके जवाब में भारत ने 7 मई को सीमा पार आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक जबरदस्त सैन्य संघर्ष हुआ। इस दौरान लड़ाकू विमान, मिसाइलें, ड्रोन और तोपखाने तक का इस्तेमाल हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर और ट्रंप को निमंत्रण
विदेश सचिव मिश्री के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर, जिसके तहत यह कार्रवाई की गई थी, अब भी जारी है। ट्रंप ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया।
ट्रंप ने मोदी से यह भी पूछा कि क्या वह कनाडा से लौटते समय अमेरिका आ सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने पहले से तय कार्यक्रमों के चलते असमर्थता जताई। हालांकि, उन्होंने ट्रंप को इस वर्ष होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का न्योता दिया, जिसे ट्रंप ने स्वीकार कर लिया।
व्हाइट हाउस की ओर से इस वार्ता पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।