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भारत दबाव में आकर कोई समझौता नहीं करेगा: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत पर किसी भी प्रकार का दबाव बनाकर कोई व्यापारिक समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के लोगों और अर्थव्यवस्था के हितों की रक्षा सर्वोपरि है और किसी भी निर्णय में जल्दबाज़ी नहीं की जाएगी।

गोयल की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगे कुछ टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित करने की घोषणा की है। इस कदम को दोनों देशों के बीच एक संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए “संक्षिप्त अवसर” के रूप में देखा जा रहा है।

मंत्री ने कहा, “हम पहले भी कह चुके हैं कि हम कभी भी बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं करते। समय सीमा बातचीत को गति देती है, लेकिन जब तक देश और जनता के हित पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते, तब तक किसी भी समझौते को जल्दबाज़ी में करना ठीक नहीं है।”

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते (BTA) को लेकर नई दिल्ली में व्यापक स्तर पर चर्चा हो चुकी है और अब वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए क्षेत्रवार बातचीत की जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “पहला चरण इस वर्ष के अंत तक पूरा हो सकता है, जिसमें टैरिफ और गैर-टैरिफ मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी।”

इस समझौते का उद्देश्य 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार को वर्तमान 200 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है — जिसे अंदरूनी तौर पर “मिशन 500” कहा जा रहा है।

मंत्री गोयल ने यह भी कहा कि भारत की सभी व्यापारिक वार्ताएं ‘इंडिया फर्स्ट’ की भावना के साथ हो रही हैं और ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

मार्च के अंतिम सप्ताह में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई आमने-सामने की बातचीत को “सौहार्दपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण” बताया गया। इसके बाद से कई दौर की वर्चुअल बैठकें भी हो चुकी हैं।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी संकेत दिया कि भारत इस व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के पक्ष में है। उन्होंने कहा, “यह एक खुला और अंतहीन प्रक्रिया नहीं है। दोनों देशों को मिलकर एक समाधान निकालना है जो सभी के लिए लाभदायक हो।”

वहीं अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर लगने वाले 16% अतिरिक्त टैरिफ को अस्थायी रूप से 9 जुलाई 2025 तक निलंबित कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की संभावनाएं और बढ़ गई हैं।

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