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सैमसंग और एप्पल भारत में उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, अमेरिका के उच्च आयात शुल्क का असर

अमेरिका द्वारा चीन, वियतनाम और भारत से आयातित उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने के बाद, सैमसंग और एप्पल अपनी उत्पादन योजनाओं में बदलाव करने पर विचार कर रहे हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय अमेरिका ने चीन से आयातित उत्पादों पर 54 प्रतिशत, वियतनाम से 46 प्रतिशत और भारत से 26 प्रतिशत शुल्क लगाने का निर्णय लिया था। इस बढ़े हुए शुल्क के कारण, भारत अब अमेरिका के लिए शिपमेंट भेजने के मामले में एक आकर्षक विकल्प बनकर उभर रहा है।

एप्पल पहले से ही भारत में iPhone का निर्माण कर रहा है, और अब रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने का विचार कर रही है।

“भारत की फैक्ट्रियां अब सिर्फ अमेरिका के लिए उत्पाद भेजने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। यूरोप, लैटिन अमेरिका और एशिया जैसे अन्य बाजारों की आपूर्ति चीन से की जाएगी। इस तरह से भारत में iPhone उत्पादन में एक महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है, जो कंपनी के लिए भारत में और अधिक उत्पादन विस्तार का रास्ता खोल सकता है,” एक उद्योग अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया।

वर्तमान में, भारत में iPhones का असेंबलिंग Foxconn और Tata द्वारा किया जा रहा है। Tata ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में अपनी भूमिका बढ़ाई है और Wistron और Pegatron द्वारा संचालित कुछ ऑपरेशंस को अपने नियंत्रण में ले लिया है। हालांकि, एप्पल अन्य देशों जैसे UAE, सऊदी अरब और ब्राजील में भी विचार कर रहा है, जहां आयात शुल्क 10 प्रतिशत के आसपास हैं, लेकिन भारत फिलहाल सबसे उपयुक्त विकल्प माना जा रहा है।

वहीं, सैमसंग जो वियतनाम में बड़े पैमाने पर उत्पादन करता है, अब अमेरिका के नए शुल्कों से प्रभावित हो सकता है। सैमसंग वियतनाम से लगभग $55 बिलियन मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात करता है, लेकिन उच्च शुल्क के कारण भारत की ओर ध्यान आकर्षित हो सकता है।

“सैमसंग के लिए भारत से 26 प्रतिशत शुल्क पर शिपमेंट करना वियतनाम से ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। यह एक अस्थायी उपाय हो सकता है जब तक कि वियतनामी सरकार अमेरिका से समझौता नहीं कर लेती। इससे ‘Make in India’ की महत्वता और बढ़ जाएगी,” एक अधिकारी ने कहा।

सैमसंग पहले ही नोएडा में अपने कारखाने में प्रमुख मॉडल जैसे Galaxy S25 और Fold का निर्माण कर रहा है, और अब अमेरिका केंद्रित उत्पादन को भारत में बढ़ा सकता है।

उपभोक्ताओं पर असर:

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, एप्पल जैसी कंपनियों को बढ़ती उत्पादन लागत को प्रबंधित करने के लिए अमेरिका में अपने उत्पादों की कीमतों में 30-40 प्रतिशत तक वृद्धि करनी पड़ सकती है। इसका मतलब है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को जल्द ही iPhone, iPad और MacBook जैसे उत्पादों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है, जब तक कि एप्पल अपनी उत्पादन लागत को पूरी तरह से अवशोषित नहीं कर लेता या अपनी आपूर्ति श्रृंखला को समय रहते समायोजित नहीं कर लेता।

एप्पल और सैमसंग दोनों के लिए भारत में उत्पादन बढ़ाने का यह कदम अमेरिकी व्यापार नीति और शुल्क के कारण एक महत्वपूर्ण रणनीति हो सकता है। अगर ये कंपनियां भारत में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाती हैं, तो यह न केवल भारत के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है, बल्कि अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को भी प्रभावित करेगा।

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